जैसलमेर के ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर की पाल पर मनोरम प्राकृतिक वातावरण में मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से शहर भर के शिवभक्तों की आस्था और विश्वास जुड़ा है। शिवभक्त यहां अपने आराध्य के दर्शनोपरान्त कुछ देर यहां बैठ कर शांति व सुकून के पल बिताते हैं। हरी-भरी दूब से आच्छादित विशालकाय परिसर और पाŸव में गड़ीसर का कल-कल करता स्वच्छ जल इस मंदिर की आभा को कई गुना बढ़ा देता है। हरे-भरे वृक्ष और दूर तक फैली हरियाली इस जगह को आस्था के साथ आनंद से भी जोड़ती है। जानकारी के अनुसार कभी इसका नाम गुप्तेश्वर महादेव हुआ करता था, लेकिन उस समय कम ही लोग यहां तक पहुंच पाते थे। भंवरलाल पुरोहित च्बाबाजीज् (अब दिवंगत) ने राजकीय सेवा से निवृत्ति के बाद इस स्थल को अपनी कर्मभूमि बनाया। मंदिर के सुचारू संचालन और अन्य धार्मिक व सामाजिक गतिविधियों के लिए धर्म संस्थान की स्थापना की गई। सेवा भावना से भरे लोगों की टीम ने इस स्थान को चमन बनाने में दिन-रात काम किया।
सावन मास के प्रत्येक सोमवार सहित विशेष अवसरों पर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर स्थित शिवलिंग का विभिन्न स्वरूपों में किया जाने वाला शृंगार देखते ही बनता है। शिव के अलग-अलग रूप इस श्रृंगार में जीवंत होते हैं। सोमवार को यहां श्रद्धालुओं की कतारें लगती हैं। दिनभर रुद्राभिषेक व जलाभिषेक के कार्यक्रम होते हैं।
गड़ीसर की पाल पर अवस्थित इस मंदिर तक जाने के लिए बीएसएनएल कार्यालय जाने वाली सडक़ पर आना होता है। उससे थोड़ा ही आगे थोड़ी चढ़ाई पार कर यहां पहुंचा जाता है। सभी तरह के वाहन मंदिर तक सुगमतापूर्वक पहुंचते हैं।
सावन मास के प्रत्येक सोमवार को मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। वे यहां के सुरम्य वातावरण में अपने परिवार जनों के साथ समय भी व्यतीत करते हैं।
Published on:
27 Jul 2025 09:15 pm