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नेमिनाथ-राजुल विवाह प्रसंग पर नाटिका, जैन संघ की विशेष प्रस्तुति

सम्यक चातुर्मास के अंतर्गत जैन भवन परिसर में साध्वी प्रशमिता महाराज, साध्वी अर्हमनिधि महाराज, साध्वी परमप्रिया महाराज और साध्वी अर्पणनिधि महाराज के सान्निध्य में तीर्थंकर नेमिनाथ के जीवन पर आधारित नाटिका का मंचन हुआ।

सम्यक चातुर्मास के अंतर्गत जैन भवन परिसर में साध्वी प्रशमिता महाराज, साध्वी अर्हमनिधि महाराज, साध्वी परमप्रिया महाराज और साध्वी अर्पणनिधि महाराज के सान्निध्य में तीर्थंकर नेमिनाथ के जीवन पर आधारित नाटिका का मंचन हुआ। इस प्रस्तुति में सकल जैन संघ ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।नाटिका में विवाह प्रसंग को केंद्र में रखा गया, जिसे नेमिनाथ के जीवन का सबसे प्रेरणादायक क्षण माना जाता है। प्रवक्ता पवन कोठारी ने बताया कि वासुदेव कृष्ण के चचेरे भाई नेमि कुमार संसार से विरक्त रहते थे। परिवार ने उनका विवाह राजकुमारी राजुल मति से तय किया और बारात रवाना हुई। विवाह स्थल पर बारातियों के भोजन के लिए असंख्य मूक पशु कैद किए गए थे।

तीर्थंकर नेमिनाथ ने अपने त्रिकाल ज्ञान से पशुओं की पीड़ा जानी और यह समझते ही कि उनका वध किया जाएगा, रथ मोड़कर पशुओं को मुक्त किया और गिरनार पर्वत की ओर प्रस्थान किया। वहीं उन्होंने दीक्षा ली, कठिन आराधना के बाद कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया और मोक्ष कल्याणक भी वहीं हुआ।राजुल ने भी क्षत्रिय धर्म निभाते हुए दूसरा विवाह अस्वीकार किया और नेमिनाथ के पीछे गिरनार जाकर दीक्षा ली। जिनागमों के अनुसार, आगामी चौबीसी के सभी तीर्थंकरों का मोक्ष भी इसी पर्वत से होगा।

कार्यक्रम में स्वामी वात्सल्य का लाभ चमेलीदेवी मूलचंद चौपड़ा परिवार ने लिया। संगीत से बीकानेर के सुनील पारख, रौनक कोचर, अरिहंत नाहटा और फलौदी के कोमल गोलेच्छा ने वातावरण को जीवंत किया।