श्राद्ध पक्ष के दौरान जिले में प्राचीन परंपराओं के अनुरूप पूर्वजों को अर्पित भोजन का आयोजन श्रद्धालुओं में गहरी आस्था और एकजुटता का प्रतीक बन रहा है। खीर, पूड़ी, तिल और गुड़ जैसे विशेष व्यंजन घर-घर में बनाकर पितृ पक्ष में अर्पित किए जा रहे हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा है, बल्कि परिवार की सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता को भी दर्शाता है।
जिले के मंदिरों, घाटों और घरों में श्रद्धालु सुबह से ही भोजन तैयार करने में जुटे रहते हैं। अधिकांश परिवार श्राद्ध पक्ष के पहले दिन ही पूजा स्थल और पवित्र स्थानों की सफाई कर पूजा की तैयारियों में लग जाते हैं। खीर, दाल-चावल, पूड़ी और तिल-गुड़ को विशेष तरीके से सजाकर पूर्वजों की आत्मा की शांति और पुण्य के लिए अर्पित किया जाता है।
स्थानीय निवासी प्रेमसिंह बताते हैं कि यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और यह परिवार के बुजुर्गों की आशीर्वाद देने की परंपरा से जुड़ी हुई है। यह केवल भोजन अर्पित करने का आयोजन नहीं है, बल्कि बच्चों को भी परंपराओं और संस्कारों से जोडऩे का माध्यम बनता है। घर में छोटे बच्चों को भोजन बनाने और अर्पित करने में शामिल किया जाता है, जिससे सांस्कृतिक शिक्षा और सम्मान की भावना उनमें विकसित होती है। श्राद्ध पक्ष में भोजन अर्पित करने की यह परंपरा केवल व्यक्तिगत श्रद्धा तक सीमित नहीं है। कई परिवार गरीब और जरूरतमंदों के बीच भी खीर, पूड़ी और तिल-गुड़ वितरण करते हैं। इससे समाज में परस्पर सहयोग, सेवा भाव और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना प्रबल होती है। 80 वर्षीय गंगादेवी बताती है कि श्राद्ध पक्ष में भोजन अर्पित करना न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह पारिवारिक एकजुटता और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। इस समय परिवार के सभी सदस्य मिलकर तैयारी करते हैं और यह एकता और श्रद्धा को बढ़ावा देता है। विशेष रूप से इस समय बच्चों और युवाओं को पारंपरिक व्यंजन बनाने और अर्पित करने में शामिल किया जा रहा है, जिससे धार्मिक शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन हो रहा है। स्थानीय समाजिक संगठन और महिला समूह भी इस परंपरा को बनाए रखने और बच्चों को जोडऩे में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
इस वर्ष श्राद्ध पक्ष में जैसलमेर के अधिकांश घाटों और पवित्र स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी हुई देखी जा रही है। इसके अलावा कई घरों में यह परंपरा अब न केवल घर तक सीमित है, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के माध्यम से साझा की जा रही है, जिससे युवाओं में जागरूकता और भागीदारी बढ़ी है। श्राद्ध पक्ष में भोजन अर्पित करने का महत्व केवल धार्मिक नहीं है। यह स्वास्थ्य और पोषण के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक शिक्षा का भी साधन बन गया है। खीर और तिल-गुड़ जैसे पारंपरिक व्यंजन पोषण और ऊर्जा प्रदान करते हैं, जबकि पूड़ी और अन्य व्यंजन भोजन के उत्सव को पूर्ण करते हैं। जैसलमेर में यह परंपरा समय के साथ बदलते जीवन और आधुनिक तकनीक के बावजूद जीवित है। परिवारों और समाज में यह आयोजन श्रद्धा, सम्मान और एकजुटता की मिसाल बनकर उभर रहा है।
संस्कृति विशेषज्ञ एसके व्यास के अनुसार श्राद्ध पक्ष में भोजन अर्पित करना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है। यह परिवार में एकता, सामाजिक जिम्मेदारी और सांस्कृतिक मूल्य को बढ़ावा देता है। यह परंपरा बच्चों और युवाओं को अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और आस्था की भावना सिखाती है। पारंपरिक व्यंजन और रीतियों के माध्यम से सामाजिक और धार्मिक शिक्षा का एक समग्र अनुभव मिलता है।
Published on:
07 Sept 2025 10:34 pm