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36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण, गूंजे मंगल गीत और भक्ति के स्वर

आस्था और श्रद्धा के सागर में डूबा जैसलमेर मंगलवार सुबह छठ महापर्व की भक्ति में सराबोर नजर आया।

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आस्था और श्रद्धा के सागर में डूबा जैसलमेर मंगलवार सुबह छठ महापर्व की भक्ति में सराबोर नजर आया। ऐतिहासिक गड़ीसर तालाब का सौन्दर्य उस समय और निखर गया, जब उगते सूर्य को छठव्रतियों ने दूध व गंगाजल से अर्घ्य अर्पित किया। व्रतियों ने आरोग्य, सुख और समृद्धि की कामना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास पूर्ण किया।

अल सुबह गड़ीसर तालाब के घाटों पर महिलाओं और पुरुषों की लंबी कतारें श्रद्धा का दृश्य पेश कर रही थीं। बांस की बनी टोकरी और सूपली में पूजा सामग्री लिए पुरुष आगे-आगे, जबकि पीछे पारंपरिक वेशभूषा में महिलाएं व बच्चे चल रहे थे। मंगल गीतों और भक्ति संगीत से गूंजते माहौल ने तालाब परिसर को पूरी तरह धर्ममय बना दिया। छठ व्रतियों ने सूर्यदेव को ठेकुआ, मौसमी फल, पुष्प और कंदमूल से पूजन अर्पित किया। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड से आए प्रवासी परिवारों की बड़ी संख्या ने इस आयोजन में भाग लिया। सामूहिक पूजन के बीच आसमान में हुई आतिशबाजी ने अद्भुत दृश्य रचा, जिससे पूरा गड़ीसर परिसर आस्था की रोशनी में नहाया दिखा।

छठ महापर्व के इस अवसर पर जैसलमेर ने एक बार फिर विविधता में एकता का संदेश दिया, जहां उत्तर भारत की परंपराओं और मरुधरा की संस्कृति का संगम देखने को मिला।