जयपुर। हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार से सम्बन्धित मामलों में अपील दायर करने का निर्णय देरी से लिए जाने पर सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि विधिवेत्ताओं की सिफारिश के बावजूद सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के तत्कालीन अधिकारी से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में अपील ही दायर नहीं की।
कोर्ट ने विधि विभाग में लगे न्यायिक अधिकारियों की एसीआर मुख्य सचिव द्वारा भरे जाने पर कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है, इसका परीक्षण किया जाएगा। न्यायाधीश समीर जैन ने अशोक सांखला की याचिका पर यह आदेश दिया।
कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान सहयोग के लिए अधिवक्ता सुरेश साहनी व अधिवक्ता पीसी भंडारी को न्यायमित्र नियुक्त किया, वहीं याचिकाकर्ता के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान अदालती आदेश पर प्रमुख विधि सचिव बृजेन्द्र जैन हाजिर हुए।
उन्होंने बताया कि अपील का फैसला विधि विभाग के तीन अधिकारियों की कमेटी करती हैं। इस पर कोर्ट ने पूछा कि मामले में पैरवी कर चुके अतिरिक्त महाधिवक्ता की सिफारिश के बावजूद किस आधार पर अपील नहीं करने का निर्णय होता है और अपील दायर करने का आधार क्या रहता है, इस बारे में समझने की जरूरत है।
इसी दौरान कोर्ट के सामने आया कि विधि विभाग में सेवारत न्यायिक अधिकारियों की एसीआर मुख्य सचिव व अन्य प्रशासनिक अधिकारी भरते हैं। इस पर भी कोर्ट ने हैरानी जताते हुए हुए कहा, न्यायिक अधिकारियों की एसीआर मुख्य सचिव कैसे भर सकते हैं।
तत्कालीन भू-प्रबंध अधिकारी याचिकाकर्ता अशोक सांखला की ओर से अधिवक्ता राजेश गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी नन्नूमल पहाड़िया के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला बंद कर दिया। सरकार ने भी अपील नहीं करने का निर्णय लेकर हाईकोर्ट का फैसला स्वीकार कर लिया। ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ चल रहे मामले को भी बंद किया जाए।
Published on:
01 Aug 2025 10:42 am