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नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बढ़ावा: अब अपनी भाषा में पढ़ेगा लाला, औरत होगी बईयर, कमीज होगी बुरसट

नई शिक्षा नीति में अपनी लोकल लैंग्वेज में पढ़ाई कर सकेंगे बच्चे, कई हजार शब्द तैयार, एससीईआरटी उदयपुर ने तैयार किया स्थानीय शब्दकोश।

जयपुर

MOHIT SHARMA

Aug 13, 2025

Photo: Patrika Network
Photo: Patrika Network

मोहित शर्मा.
New Education Policy 2020 जयपुर. राजस्थान के स्कूलों में शिक्षा अब बच्चों के लिए और भी सहज और प्रभावशाली होने जा रही है। नई शिक्षा नीति (नीप 2020) के तहत अब प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1 से 5) में स्थानीय भाषाओं/बोलियों को पढ़ाई में शामिल किया गया है, जिससे बच्चे अपनी मातृभाषा में आसानी से सीख सकें। क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (RSCERT), उदयपुर ने राजस्थान के 24 जिलों के लिए स्थानीय शब्दकोश ( local language glossary ) तैयार किया है।

शिक्षक खड़ी बोली में समझाएंगे पाठ

इस शब्दकोश में स्थानीय बोलियों जैसे मेवाड़ी, मारवाड़ी, ढूंढाड़ी, हाड़ौती, ब्रज, वागडी आदि के हजारों शब्दों को संकलित किया गया है, जिनका उपयोग बच्चे अपने घर-परिवार और समुदाय में बोलचाल में करते हैं। उदाहरण के लिए अंग्रेज़ी में शर्ट तो हिंदी में "कमीज" कहते हैं, वहीं कुछ क्षेत्रों में लोग उसे "बुरसट" कहते हैं। इसी तरह "पत्नी" के लिए "लुगाई" या बईयर और "छात्र" के लिए "लाला" जैसे शब्दों को जोड़ा गया है। शिक्षक कक्षाओं में पाठ्यक्रम की पुस्तकों के पाठों को विद्यार्थियों को क्षेत्रीय मातृभाषा खड़ी बोली में समझाएंगे। करौली में अब गाल को गलुआ, औरत को बईयरवानी पढ़ते नजर आएंगे। ऐसे ही भतरपुर के बच्चे अब सिगड़ी पर सिकी रोटी को अंगा, औरत को बैरवाडी, कपड़े को लत्ता कहते नजर आएंगे।

शिक्षण को सहज बनाएगा यह प्रयास

एससीईआरटी अधिकारियों के अनुसार, बच्चों को जब उनकी अपनी भाषा में पढ़ाया जाता है तो वे विषयों को जल्दी समझते हैं और आत्मविश्वास के साथ बात कर पाते हैं। यह शब्दकोश शिक्षकों को भी स्थानीय संदर्भों में बच्चों को पढ़ाने में मदद करेगा।

जिलेवार शब्द एकत्र कर बनाई गई सूची

इस पहल के तहत एससीईआरटी ने 24 जिलों के शिक्षकों, भाषा विशेषज्ञों और बाल विकास अधिकारियों की मदद से ऐसे शब्द एकत्र किए हैं जो बच्चों के दैनिक जीवन में प्रयुक्त होते हैं। कई जिले ऐसे हैं, जिनमें आसपास के संबंधित जिलों को भी जोड़ा गया है, क्योंकि उनमें भी वही भाषा बोली जाती है। इस शब्दकोश में हिन्दी, अंग्रेज़ी व स्थानीय शब्दों के बीच त्रि-भाषीय तुलना दी गई है। आरएससीईआरटी ने भाषा मैपिंग सर्वे के अनुसार पाया की लगभग 20 प्रतिशत शिक्षक वहां की स्थानीय बोली नहीं जानते। इसलिए ऐसे जिलों में, जहां "मां बोली" (मातृभाषा/लोकल डायलैक्ट) और स्कूल की शिक्षा भाषा (आमतौर पर हिंदी) अलग हो वहां इसकी जरूरत है। हर उस जिले में अनुवाद और स्थानीय भाषा-शब्दकोश की आवश्यकता है, जहां स्कूली बच्चे और शिक्षक अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, जिससे शिक्षण बाधित हो सकता है।

डिजिटल और प्रिंट फॉर्मेट में उपलब्ध

एससीईआरटी के अनुसार यह शब्दकोश डिजिटल फॉर्मेट में भी उपलब्ध होगा, जिसे शिक्षक स्मार्टफोन या टैबलेट के ज़रिए कक्षा में उपयोग कर सकेंगे। साथ ही, क्षेत्रीय शिक्षा कार्यालयों को इसके प्रिंट संस्करण भी भेजे गए हैं।

स्थानीयता से जुड़ेगा नन्हा मन

नई शिक्षा नीति का मकसद स्कूली शिक्षा को बच्चों की भाषा, संस्कृति और परिवेश से जोडऩा है। इस पहल से बच्चे न केवल बेहतर समझ के साथ पढ़ाई करेंगे, बल्कि अपनी मातृभाषा और विरासत से भी गर्व से जुड़ सकेंगे।

जिलेवार स्थानीय भाषा की सूची

जिलास्थानीय भाषाशब्द
भरतपुरब्रज भाषा Brij Bhasha576
करौलीखड़ी बोली Khadi Boli788
दौसाढूंढाड़ी Dhundhari471
बाड़मेरमारवाड़ी Marwari1440
भीलवाड़ा शाहपुरामेवाड़ी Mewari641
बूंदीहाड़ौती Hadoti510
धोलपुरब्रज भाषा Brij Bhasha704
अलवरमेवाती Mewati1000
झुंझुनूशेखावाटी Shekhawati815
अजमेरमारवाड़ी Marwari380
बारांहाड़ौती Hadoti1192
चुरूमारवाड़ी Marwari1061
नागौरमारवाड़ी Marwari721
बीकानेरमारवाड़ी Marwari367
हनुमानगढ़बागड़ी Bagdi 1102
जैसलमेरमारवाड़ी Marwari393
जालोरमारवाड़ी Marwari517
झालावाड़मालवी Malvi787
जोधपुरमारवाड़ी Marwari993
कोटाहाड़ौती Hadoti468
सीकरशेखावाटी Shekhawati524
गंगानगरबागड़ी Bagdi414
सवाई माधोपुरढूंढाड़ी Dhundhari956
टोंकढूंढाड़ी Dhundhari781