4 अगस्त 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

राजस्थान में 3500 से ज्यादा यो​ग शिक्षक, पांच से आठ हजार तक वेतन, बोले: कैसे करे परिवार का पालन पोषण

राजस्थान के हजारों योग शिक्षक आज खुद असंतुलित जीवन जीने को मजबूर हैं। जिन हाथों ने पूरे प्रदेश को स्वस्थ जीवनशैली सिखाई, उन्हीं हाथों को अपने घर चलाने के लिए रोज संघर्ष करना पड़ रहा है।

PATRIKA PHOTO
PATRIKA PHOTO

राजस्थान के हजारों योग शिक्षक आज खुद असंतुलित जीवन जीने को मजबूर हैं। जिन हाथों ने पूरे प्रदेश को स्वस्थ जीवनशैली सिखाई, उन्हीं हाथों को अपने घर चलाने के लिए रोज संघर्ष करना पड़ रहा है। इस महंगाई के दौर में 5000 से 8000 रुपए महीना वेतन योग शिक्षकों को मिल रहा है। वो भी तब, जब ये शिक्षक वर्षों से आयुर्वेदिक औषधालयों, विद्यालयों और पंचायत स्तर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सरकार ने उन्हें ‘पार्ट टाइम’ का तमगा थमाकर किनारे कर दिया है। महिलाओं को पांच हजार रुपए और पुरूष योग शिक्षकों को आठ हजार रुपए मासिक वेतन दिया जाता है।

देश में पहला स्थान हासिल किया..

राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत नियुक्त हुए इन प्रशिक्षकों को चार साल से झुनझुना ही पकड़ा जा रहा है। ना फुल-टाइम वेतन, ना स्थायीत्व और ना ही भविष्य की कोई योजना। ये वही शिक्षक हैं जिनकी मेहनत से राजस्थान ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर देशभर में पहला स्थान हासिल किया, लेकिन सरकार की नजरों में इनका योगदान शून्य है।

जानिए..क्या कहते है योग शिक्षक..

आठ हजार रुपए महीना में घर कैसे चला सकते है, यह बात सरकार को समझनी चाहिए। हमारे माली हालात खराब है। गांव में कोई दूसरा काम धंधा भी नहीं होता है, ऐसे में हमारी स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रहीं है।

डॉ बाबूलाल कुमावत, जयपुर के भैंसावा में ड्यूटी

मुझे महीने के पांच हजार रुपए मिलते है। हर दिन ड्यूटी पर आने जाने के लिए 45 किलोमीटर का अपडाउन करना पड़ता है। उम्मीद थी कि फुल टाइम और परमानेंट हो जाएंगे। लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। घर चलाना मुश्किल हो रहा है। अब 5 हजार में क्या खाऊं, क्या करूं।

पूनम कुमारी, झुंझुनूं के दिलावरपुरा में ड्यूटी…

आरोप: भाजपा भूल गई सरकार बनने के बाद वादा…

योग शिक्षकों का आरोप है कि चुनावों से पहले भाजपा ने मंचों से वादा किया था कि सरकार बनते ही इन योग शिक्षकों को सम्मान मिलेगा, लेकिन आज डबल इंजन सरकार के दोनों पहिए भी इस मुद्दे पर थमे हुए हैं। हालात इतने बदतर हैं कि कई प्रशिक्षकों के सामने परिवार पालने का संकट खड़ा हो गया है। योग शिक्षकों का कहना है कि हमारी ड्यूटी का नाम सिर्फ एक घंटा है, जबकी हर दिन करीब चार घंटे काम करना पड़ता है। कई बार तो शाम तक काम करना पड़ता है।

सीएम तक काटे चक्कर, कोई नहीं सुन रहा..

8 जुलाई को हजारों योग शिक्षकों ने शहीद स्मारक पर धरना देकर सरकार को चेताया था। 10 दिन में कार्रवाई का वादा भी मिला, लेकिन अब तक नतीजा सिफर है। अब शिक्षक आमरण अनशन की तैयारी कर रहे है। योग शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री तक के चक्कर काटे है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।