पुरानी सड़कों के ऊपर नई परत बिछाईं जा रही हैं। न निकासी पर जोर दिया जाता और न ही मानसून से पहले नालों को सही तरह से साफ किया जाता है। सबसे बुरा हाल राजधानी के बाहरी इलाके का है। जलभराव ऐसा हो गया कि सड़कें पहचान में ही नहीं आतीं।कानोता के विजयपुरा रोड से जामडोली में घरों से आगे पिछले कई दिन से पानी भरा है। स्थानीय लोग शिकायत करके थक गए, लेकिन कोई सुनने नहीं आया।
ओवरफ्लो सीवरलाइन, लोगों के लिए मुसीबत
मानसून में सीवर लाइन क्षमता से अधिक भरकर चल रही हैं। यही वजह है कि कई जगह तो सीवर लाइन के ढक्कन ही निकल जाते हैं। वहीं, गांधी पथ पश्चिम से लेकर अन्य जगहों पर सीवर लाइन क्षतिग्रस्त हो गई हैं। ये हादसे को खुला निमंत्रण दे रहे हैं।आयुक्त ने मांगी रिपोर्ट तो दौड़े इंजीनियरराजस्थान पत्रिका की खबर पर आयुक्त आनंदी ने रिपोर्ट मांगी। इसके बाद जोन एक्सईएन सक्रिय हुए। साथ ही दोनों निदेशक अजय गर्ग और देवेंद्र गुप्ता भी फील्ड में उतरकर मौका देखने पहुंचे। हालांकि, सीमा विवाद में भी जेडीए अभियंता उलझे रहे। पीएचई और जोन अभियंता एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर खुद को बचाने के प्रयास में लग रहे।
मेढ़ ने फेल की जेडीए की इंजीनियरिंग
गांधी पथ पश्चिम में जल निकासी का कोई इंतजाम नहीं है। यहां काश्तकार ने अपने खेत और सड़क के बीच में ऊंची मेढ़ बना दी। इससे सड़क का पानी निकल नहीं पा रहा। ढलान होने की वजह से पानी यहीं पर भरता है। गुरुवार को इंजीनियरिंग विंग के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और निस्तारण को लेकर चर्चा की।
Published on:
18 Jul 2025 05:17 pm