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Janmashtami: राधा-कृष्ण के मंदिरों के चलते जयपुर का नाम पड़ा ‘अपर वृंदावन’, सैकड़ों मंदिरों से गूंजता है कृष्ण नाम

Janmashtami 2025: जयपुर को ‘अपर वृंदावन’ कहा जाता है। क्योंकि यहां गौड़ीय वैष्णव, वल्लभ, निबार्क व ललिता संप्रदाय के सैकड़ों मंदिर हैं। राधा गोविंद देवजी, गोकुलानंद जी, गिरधर गोपाल जगत शिरोमणि समेत कई प्रमुख मंदिरों से शहर राधा-कृष्ण भक्ति का केंद्र बना हुआ है। पढ़िए जितेन्द्र सिंह शेखावत की रिपोर्ट...

Janmashtami 2025
Janmashtami 2025 (Patrika File Photo)

Janmashtami 2025: भगवान राधा कृष्ण की उपासना का देश में दूसरा सबसे बड़ा केंद्र होने के कारण जयपुर को अपर वृंदावन भी कहा जाता है। यहां के गौड़ीय वैष्णव, निबार्क, वल्लभ और ललिता संप्रदाय आदि के कारण भगवान राधा कृष्ण को समर्पित दर्जनों मंदिरों की वजह से जयपुर वृंदावन से कम नहीं लगता।


हमारा जयपुर इतना भाग्यशाली है कि गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के राधा गोविंददेव जी यहां विराजमान हैं। पुरानी बस्ती में गोपीनाथ जी तथा चौड़ा रास्ता में राधादामोदर जी के अलावा ठाकुर विनोदी लालजी भी विराजमान हैं।


वहीं, त्रिपोलिया बाजार में गोकुलानंद जी और राधा विनोद जी की मूर्तियों को लोकनाथ गोस्वामी और विश्वनाथ चक्रवर्ती ने स्थापित किया था। गणगौरी बाजार में धोली पेड़ी का एवं सिरह ड्योढ़ी दरवाजे में दाऊजी और नीलमणि जी का मंदिर है।


बृजनंदन और आनंद कृष्ण के मंदिर


वृंदावन चंद्र जी के अलावा बृजनंदन जी व आनंद कृष्ण जी के मंदिर हैं। रानी भटियानी ने साल 1790 में हवामहल के पास गोवर्धननाथ मंदिर बनवाया था। महाकवि भोलानाथ शुक्ल ने इस मंदिर में श्रीकृष्ण लीला ग्रंथ लिखा था। वल्लभ संप्रदाय के गिरधारीजी के मंदिर में कवि पद्माकर रहे थे।


डॉ. सुभाष शर्मा ने क्या बताया


जयपुर के धार्मिक इतिहास पर डॉ. सुभाष शर्मा ने लिखा कि पुरानी विधानसभा के पास बलदाऊ जी का मंदिर प्रताप सिंह ने एवं मेहताब बिहारी मंदिर रानी महताब कंवर ने बनवाया था। त्रिपोलिया बाजार में चंद्र मनोहर मंदिर रानी मेड़तानी ने व ठंडी प्याऊ के पास बृज बिहारी मंदिर जगत सिंह ने बनवाया था।


श्री जी की मोरी में गोपीजनवल्लभ मंदिर, ब्रह्मपुरी में गोकुलनाथ जी एवं पुरानी बस्ती में गोकुलचंद्रमा जी के मंदिर हैं। पुराना घाट में विजय गोविंद मंदिर की जगह पर भगवान गोविंद देव जी ने पड़ाव किया था। यहीं पर चतुर्भुज जी का मंदिर तंवरानी जी ने बनवाया था। जौहरी बाजार में चांपावत जी का चंद्र बिहारी मंदिर प्रसिद्ध है।


बलदेव कृष्ण का मंदिर निबार्क संप्रदाय का मंदिर


ब्रह्मपुरी में गोकुलनाथ जी मंदिर और परशुराम द्वारा में बलदेव कृष्ण का मंदिर निबार्क सप्रदाय का मंदिर है। श्रीनाथजी का वल्लभ सप्रदाय, हित हरिवंश सप्रदाय, ललिता संप्रदाय की परंपरा के संतों ने जयपुर में राधा कृष्ण भक्ति की अलख जगाई थी। वृंदावन से आई लाडलीजी राधा रानी का रामगंज में मंदिर है।


मीरा के गिरधर गोपाल जगत शिरोमणि मंदिर में


भागवत पुराण में वर्णित श्री कृष्ण के सुदर्शन वन में आने का प्रमाण चरण मंदिर है। इसके अलावा चित्तौड़ के किले से आए मीरा के गिरधर गोपाल जगत शिरोमणि मंदिर में हैं। मथुरा की कृष्ण जन्म भूमि का सवाई जयसिंह जीर्णोद्धार करवा कर अपनी पुत्री का जन्माष्टमी पर विवाह किया। मानसिंह प्रथम ने वृंदावन सहित देश में कृष्ण के दर्जनों मंदिर बनवाए थे।