जयपुर. शहर के दोनों नगर निगमों हैरिटेज और ग्रेटर की स्वच्छता रैंकिंग भले ही बेहतर हो गई हो, लेकिन सफाईकर्मियों की भारी कमी और प्रशासनिक उदासीनता के चलते जमीनी स्तर पर सफाई की स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है। सैकड़ों स्थायी कर्मचारी कार्यालयों में बाबू बनकर बैठ गए हैं। इन्हें फील्ड में मूल सफाई कार्य के लिए लगाने के प्रयास स्वायत्त शासन विभाग और निगमों द्वारा कई बार किए गए, लेकिन ’’पहुंच’’ और ’’प्रभाव’’ के चलते ये फाइलों में ही उलझे रहे।
परकोटे क्षेत्र में नाइट स्वीपिंग (रात को सफाई) बेहद जरूरी मानी जाती है, लेकिन इसे सही ढंग से लागू नहीं किया गया। कभी कर्मचारी विरोध करते हैं, तो कभी स्वास्थ्य शाखा के अधिकारी गंभीरता नहीं दिखाते। मैकेनाइज्ड स्वीपिंग (मशीनों से सफाई) के प्रति भी लापरवाही बनी हुई है। हाल ही हैरिटेज की आयुक्त निधि पटेल ने निरीक्षण के दौरान इनकी खानापूर्ति को पकड़ा था। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो 50 लाख की जनसंख्या वाले जयपुर में स्वच्छता के लिए कम से कम 20 हजार सफाईकर्मियों की आवश्यकता है। अभी सात हजार कर्मचारी कार्यरत हैं और चार हजार की भर्ती प्रस्तावित है, जिससे यह संख्या 11 हजार तक पहुंच सकती है।
राज्यभर में 24,997 पदों पर सफाईकर्मियों की भर्ती होनी है, लेकिन पिछले दो वर्षों से यह प्रक्रिया ठप पड़ी है। यदि यह प्रक्रिया पूरी हो जाए, तो जयपुर को 4300 से अधिक स्वच्छता सैनिक मिल सकते हैं। बीच में अनुभव प्रमाण-पत्र की अनिवार्यता को लेकर विवाद हुआ, जिससे पूरी भर्ती प्रक्रिया ही रद्द हो गई। बीते सप्ताह स्वायत्त शासन विभाग ने दिल्ली और आगरा में टीमें भेजीं, ताकि वहां के नियमों का अध्ययन किया जा सके और प्रदेश में व्यवहारिक मॉडल अपनाया जा सके।
●हैरिटेज नगर निगम में वर्तमान में 4051 सफाईकर्मी कार्यरत हैं
●ग्रेटर नगर निगम में कुल 2995 सफाईकर्मी कार्यरत हैं
सफाईकर्मियों की भर्ती दो साल से लंबित है। हमने कई बार स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला। हाल ही में दिल्ली और आगरा भेजी गई टीमों का अध्ययन यदि जल्द क्रियान्वयन में नहीं बदला, तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। नंदकिशोर डंडोरिया, अध्यक्ष, संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ
Updated on:
04 Aug 2025 09:14 am
Published on:
29 Jul 2025 07:52 am