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Jaipur : जयपुर के स्कूलों की चौखट के बाहर ‘खड़ी’ है मौत, लेकिन सिस्टम बेखबर, जानें क्या है मामला

Jaipur Schools : राजस्थान की पिंक सिटी जयपुर में स्कूल की चौखट के बाहर मौत ‘खड़ी’ है। लेकिन सिस्टम बेखबर। मामला बेहद गंभीर है। जयपुर के स्कूलों के बच्चे बिजली के खुले तारों और ट्रांसफार्मर के बीच से होकर रोज गुजरते हैं। किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहा है जिला प्रशासन। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Jaipur schools outside the doorstep standing Death but system is unaware know what is Case
ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

Jaipur Schools : एक ओर सरकारें ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ और ‘सुरक्षित बचपन’ जैसे नारे देती हैं, वहीं दूसरी ओर स्कूलों की चौखट पर बच्चे बिजली के खुले तारों और ट्रांसफार्मर के बीच से होकर रोज गुजरते हैं। बजाज नगर इलाके में केन्द्रीय विद्यालय के सामने बिजली के पोल में करंट से एक छात्र की मौत ने पूरे सिस्टम की लापरवाही को उजागर कर दिया है। कई स्कूलों के बाहर खुले बिजली के पैनल बॉक्स, तार और ट्रांसफॉर्मर बच्चों की सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं।

तीन विभागों की तिकड़ी, तीनों ने झाड़ा पल्ला

पत्रिका टीम ने जयपुर शहर के कई स्कूलों का दौरा किया, जहां हालात गंभीर मिले। कुछ स्थानों पर तो स्कूल प्रिंसिपल खुद डिस्कॉम को पत्र भेज चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कहीं वर्षों से खुले तार हैं, कहीं हर बारिश में ट्रांसफॉर्मर से आग या स्पार्किंग होती है - लेकिन किसी की नींद नहीं टूटी।

‘कितनी बार कहा…कोई सुनता नहीं’

चार दरवाजा - निजी स्कूल के पास ट्रांसफॉर्मर है, स्कूल प्रिंसिपल मरियम शेख ने बताया-कई बार पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं।
सुभाष चौक - स्कूल की दीवार से ट्रांसफॉर्मर चिपका है, आए दिन स्पार्किंग होती है।
झोटवाड़ा कांटा चौराहा - पिछले साल बारिश में ट्रांसफॉर्मर में आग लग चुकी है। इस बार फिर तार खुले हैं, डर बना है।
घोड़ा निकास रोड - स्कूल के पास पैनल बॉक्स बारिश में डूब जाता है, पानी में करंट फैलने का खतरा बना रहता है।
झोटवाड़ा वार्ड 29 - स्कूल गेट के पास ही ट्रांसफॉर्मर और डीपी बॉक्स खुले पड़े हैं, बारिश में डूब जाते हैं।

कहां है जवाबदेही?

जब सवाल मासूम बच्चों की जान का है, तो जवाबदेही किसकी बनती है?
1- डिस्कॉम कहता है- बजट और फुर्सत नहीं
2- स्कूल प्रशासन कहता है- हम पत्र लिख चुके हैं
3- शिक्षा विभाग तो सिर्फ नाम का ‘निगरानीकर्ता’ है

क्या मौत के बाद ही जागेगा सिस्टम?

1- क्या किसी और बच्चे की जान जाने के बाद ये ट्रांसफॉर्मर हटेंगे?
2- क्या हर बारिश के बाद ही प्रशासन ‘समीक्षा बैठक’ करेगा?
3- या फिर यह सब ऐसे ही चलता रहेगा - जैसे चलता आ रहा है?

हादसे की खुली दावत

बिजली का ये इंतजाम नहीं व्यवस्था, हादसे की खुली दावत है। स्कूलों के बाहर बिजली के खुले तार और ट्रांसफॉर्मर नहीं होने चाहिए। बारिश के मौसम में इनमें करंट आ सकता है और हादसे हो सकते हैं। प्रशासन को इसकी जांच कर तत्काल सुधार करना चाहिए।
मुकेश मीणा, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम