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स्वच्छता अभियान: जयपुर सफाई में फिसड्डी, शहर में 1 आदर्श ट्रांसफर स्टेशन, बाकी जगह फैली गंदगी और अव्यवस्था

राजधानी जयपुर में कचरा संग्रहण के लिए 14 ट्रांसफर स्टेशन हैं, लेकिन अन्य स्टेशनों को आदर्श बनाने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। इसके कारण इन स्थानों पर दिनभर दुर्गंध उठती रहती है, जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी होती है।

जयपुर

Arvind Rao

Aug 02, 2025

Jaipur Cleanliness Campaign
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Jaipur Cleanliness Campaign (Patrika Photo)

Jaipur News: जयपुर में आदर्श ट्रांसफर स्टेशनों की कमी सफाई व्यवस्था पर भारी पड़ रही है। ग्रेटर नगर निगम ने झालाना बाईपास पर एक आदर्श ट्रांसफर स्टेशन विकसित किया है। यहां हूपर सीधे रियूज कॉपेक्टर (आरसी) में खाली होते हैं। हालांकि, यहां भी कचरा सड़क पर गिरता है और अधिक हूपर आने पर कचरे के ढेर लग जाते हैं।


राजधानी में कचरा संग्रहण के लिए 14 ट्रांसफर स्टेशन हैं, लेकिन अन्य स्टेशनों को आदर्श बनाने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। इसके कारण इन स्थानों पर दिनभर दुर्गंध उठती रहती है, जिससे स्थानीय लोगों को परेशानी होती है।


कई बार लोग इस समस्या से निजात के लिए धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर हो जाते हैं। अब केंद्र सरकार की सिटी 2.0 योजना के तहत ट्रांसफर स्टेशनों को आधुनिक रूप देने की योजना है, लेकिन यह काम कब तक पूरा होगा, यह स्पष्ट नहीं है।


आबादी के बीच स्थित ट्रांसफर स्टेशन


झालाना के आदर्श ट्रांसफर स्टेशन के नजदीक ही एक अन्य ट्रांसफर स्टेशन है, जहां कचरा बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के डाला जा रहा है। मानसरोवर के रीको क्षेत्र, बबाला पुलिया, कालवाड़ रोड और चित्रकूट रोड के ट्रांसफर स्टेशन भी घनी आबादी के बीच स्थित हैं। यही स्थिति हैरिटेज नगर निगम क्षेत्र की है, जहां हसनपुरा और लाल डूंगरी में खुले में कचरा एकत्र किया जा रहा है।


इन शहरों में उपलब्ध ये व्यवस्थाएं


इंदौर: यहां ट्रांसफर स्टेशन हाईटेक हैं। कॉपैक्टर, बकेट और हुक-लोडर की व्यवस्था है। एक कंटेनर में 45 हूपर का कचरा लोड किया जा सकता है।


सूरत: यहां आठ आधुनिक ट्रांसफर स्टेशन बनाए गए हैं। ऊंचे प्लेटफॉर्म से हूपर सीधे कंटेनर में जाता है, जिससे रिसाव और गंध नहीं होती।


लखनऊ: यहां फिक्स्ड कॉपैक्टर ट्रांसफर स्टेशन और पोर्टेबल कॉपैक्टर ट्रांसफर स्टेशन विकसित किए गए हैं, जिनकी क्षमता 29 से 50 टन के बीच है।


वेस्ट का वर्गीकरण: गीले, सूखे और घरेलू खतरनाक कचरे के लिए अलग-अलग चैंबर।


ऑटोमेटेड लोडिंग: हुक-लोडर या कॉपैक्टर से कचरा ट्रकों में ट्रांसफर किया जाता है, इस दौरान किसी व्यक्ति को कचरे को हाथ नहीं लगाना पड़ता।


लीचेट कलेक्शन सिस्टम: रिसने वाले तरल को अलग संग्रहित किया जाता है। इसमें बचा हुआ खाना और जैविक अपशिष्ट होता है, जो बारिश या नमी के कारण बहने लगता है।


सेगमेंट प्लेटफॉर्म: ऊंचे रैप से कचरा सीधे नीचे कंटेनर में गिरता है।