जयपुर। प्रदेश में नगरीय निकायों का भौगोलिक स्वरूप पूरी तरह बदल रहा है। परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी हो गई है, जिसमें राज्य में 2700 नए वार्ड प्रस्तावित किए गए हैं। अब 10175 वार्डों में चुनाव होंगे, जबकि अभी तक शहरी सरकारों में 7475 वार्ड ही थे। वर्ष 2019 में जहां 196 नगरीय निकाय थे, वे बढ़कर अब 309 हो गए हैं।
इस बीच राज्य में अब 13 की जगह दस ही नगर निगम होंगे। इनमें जयपुर, जोधपुर, कोटा में दो की जगह एक ही निगम होगा। स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा की अध्यक्षता में मंत्रीमण्डलीय उप समिति ने सूची को अंतिम रूप दे दिया है। इस आधार पर राज्य सरकार ने दिसम्बर में चुनाव कराने की तैयारी तेज कर दी है। इसी पखवाड़े में परिसीमन सहित वार्डों के प्रारूप का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में वर्ष 2019 में वार्डों का पुनर्गठन हुआ था। उस समय 196 निकाय थे। छह साल में ही 113 नए निकायों का गठन कर दिया गया। इस तरह अब 309 निकाय हो गए। हालांकि, ज्यादातर में बोर्ड का गठन नहीं किया गया, बल्कि सरपंच को ही सभापति की जिम्मेदारी दी जाती रही।
जयपुर, उदयपुर, कोटा व जोधपुर में 220 वार्ड घट गए हैं। जयपुर में 100, जोधपुर में 60, कोटा में 50 और उदयपुर निगम क्षेत्र में 10 वार्ड कम होंगे।
चार निकाय ऐसे हैं, जहां परिसीमन पर कोर्ट स्टे है। इनमें बोरावड (डीडवाना-कुचामन), तारानगर (चुरू), बड़ी सादड़ी (चितौडगढ़), देवगढ़ (राजसमंद) निकाय शामिल है। स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केवल परिसीमन पर स्टे है, लेकिन चुनाव पर नहीं। इसलिए मौजूदा वार्डों के आधार पर चुनाव कराए जा सकते हैं।
सरकार दिसम्बर में चुनाव कराने के मूड में है, जबकि 91 निकाय ऐसे हैं, जिनका कार्यकाल जनवरी व फरवरी में पूरा होगा। कानूनी रूप से इन निकायों का बोर्ड भंग करना आसान नहीं है। राजनीतिक रूप से भी विरोध की आशंका बन सकती है। इसलिए सरकार विचार कर रही कि इनका बोर्ड भंग किए बिना चुनाव तो करा लिए जाएं और कार्यकाल पूरा होने के बाद नए बोर्ड का गठन करें।
अभी यहां प्रशासक नियुक्त- बोर्ड कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार ने 111 निकायों में प्रशासक नियुक्त किया हुआ है। निकायों में कहीं जिला कलक्टर तो कहीं एसडीएम को कमान सौंपी गई है।
Updated on:
02 Aug 2025 10:08 am
Published on:
02 Aug 2025 07:02 am