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जयपुर में धरातल पर उतरेंगे 4 बड़े प्रोजेक्ट, बदलेगा ट्रैफिक मैप, लेकिन वैकल्पिक मार्ग का पता नहीं; राह होगी मुश्किल

Jaipur News: राजधानी में इस माह 4 प्रोजेक्ट धरातल पर उतरेंगे। इनसे शहर का ट्रैफिक मैप बदल जाएगा। जेडीए दो एलिवेटेड रोड और दो रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) पर काम कर रहा है।

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Photo Source: AI

Jaipur News: जयपुर। राजधानी जयपुर में इस माह 4 प्रोजेक्ट धरातल पर उतरेंगे। इनसे शहर का ट्रैफिक मैप बदल जाएगा। जेडीए दो एलिवेटेड रोड और दो रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) पर काम कर रहा है। इनको पूरा करने में दो से तीन वर्ष का समय लगेगा। लेकिन, जब निर्माण कार्य चलेगा, उस समय लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए जिम्मेदारों ने अब तक कोई वैकल्पिक इंतजाम पर विचार शुरू नहीं किया है।

राजधानी में पिछले कुछ वर्ष के दौरान ऐसे कई प्रोजेक्ट के अनुभवों को देखते हुए इस बार भी अधूरी तैयारी लोगों पर भारी पड़ सकती है। इस समय शहर में चल रहे कुछ प्रोजेक्ट के कारण करीब एक वर्ष से कुछ मार्ग बंद हैं।

उन मार्गों का यातायात दबाव जिन रास्तों पर शिफ्ट हुआ है वहां 2 से 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में ही 45 मिनट से एक घंटा तक लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते जेडीए और यातायात पुलिस लोगों को वैकल्पिक रास्ते सुझा दे तो सभी की आसानी से आवाजाही होती रहेगी।जेडीए का काम भी बिना किसी रुकावट के चलता रहेगा।

ऐसे होती देरी… शहरवासी होते परेशान

महारानी फार्म से गुजरने वाली द्रव्यवती नदी पर रपट का काम सात माह से चल रहा है। पहले 25 जून, फिर जुलाई और अब 20 अगस्त तक काम पूरा करने का दावा जेडीए कर रहा है। जबकि, इस रपट से रोज डेढ़ लाख वाहन चालकों को आवाजाही होती थी। यहां से वाहन चालक गुजरते थे, उन सभी की गोपालपुरा हाईलेवल ब्रिज और बी टू बाइपास चौराहे होते हुए आवाजाही हो रही है। जहां डायवर्जन है, वहां पीक आवर्स में एक घंटा ज्यादा लगता है।

जल्द ही ट्रैफिक पुलिस के साथ बैठक करेंगे

सीबीआइ फाटक के पास जगतपुरा पुलिया है। वहीं, सालिगरामपुरा आरओबी के पास एक अंडरपास है और रिंग रोड का भी विकल्प सुगम यातायात के लिए है। वहीं, एलिवेटेड रोड का काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। उसी के हिसाब से डायवर्जन किया जाएगा। जल्द ही यातायात पुलिस के साथ बैठक कर रूपरेखा तय करेंगे।
-देवेंद्र गुप्ता, निदेशक, अभियांत्रिकी शाखा, जेडीए

टॉपिक एक्सपर्ट: छोटे रास्तें भी तलाशें, उन पर सड़क बनाए

शहर में बढ़ते यातायात दबाव को देखते हुए जेडीए प्रोजेक्ट भी जरूरी हैं। इसके साथ-साथ निर्माण के समय भी लोगों की सुविधा का ध्यान रखा जाना जरूरी है। आमतौर पर ऐसे मार्ग स्वत: ही वैकल्पिक बन जाते हैं, जिन्हें सब जानते हैं। लंबे चलने वाले और बड़े प्रोजेक्ट से पहले एमएनआइटी जैसे संस्थानों से उसके आस-पास वैकल्पिक रास्ते तलाशने की स्टडी करवाई जा सकती है। बड़े मार्गों के साथ छोटे-छोटे विकल्प भी देखने चाहिए। ऐसे रास्तों पर सड़के टूटी हुई हैं या नहीं है तो उन्हें पहले बनाना चाहिए। हाल ही अजमेर रोड पर काम चला तो लोग खेतों में होकर कच्चे रास्तों से निकलते थे।

ऐसे रास्तों को अस्थायी तौर पर डामर युक्त भी बनाया जा सकता था। निर्माण के कारण जिन मार्ग पर रूट डायवर्ट होता है। वहां अतिरिक्त यातायात पुलिसकर्मी नियुक्त किए जाने चाहिए। प्रोजेक्ट चालू रहने के साथ-साथ यातायात भी संचालित रहता है। ऐसे में वहां मानकों के अनुरूप सुरक्षा की जाए। ट्रैफिक पुलिस और जेडीए अधिकारियों के बीच समन्वय होना चाहिए ताकि, वैकल्पिक रास्तों पर लोगों की आवाजाही हो सके। अस्थायी पुलिसकर्मी और गार्ड तैनात किए जाएं। निर्माण में कोई बदलाव किया जा रहा है तो सोशल मीडिया हैंडल का भी उपयोग करना चाहिए।
-नेहा खुल्लर, कार्यकारी निदेशक, मुस्कान फाउंडेशन फॉर रोड सेफ्टी