जयपुर। शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर जनजातीय जीवन शैली में प्रकृति, जीव-जंतु, नदी, पर्वत, जंगल और मौसम प्रतीकों के रूप में इस समाज की आत्मा की तरह हैं। प्रकृति का सम्मान, उसके बनाए नियमों के अनुसार जीवन बिताना और अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उन्हें शामिल कर उत्सव मनाना ही जनजातीय जीवन की खासियत है। राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में सोमवार से वेस्ट जोन कल्चर सेंटर, उदयपुर की ओर से 'ट्राइबल आर्ट ऑफ इंडिया' के तहत 'अभिव्यक्ति' एग्जिबिशन की शुरुआत हुई। प्रदर्शनी में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान की ट्राइबल आर्ट को शोकेस करतीं 35 चित्रों और आर्टिफैक्ट्स की प्रदर्शनी लगाई गई है।
प्रकृति से दिखा जुड़ाव, तीज-त्योहार में झलकी संस्कृति
क्यूरेटर सुनील ने बताया कि प्रदशनी में मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति की गोंड आर्ट, महाराष्ट्र की वारली कला, गुजरात की पिथोरा पेंटिंग्स और राजस्थान का मांढणा आर्ट डिस्प्ले किया गया है। इन पेंटिंग्स में जनजातीय समुदाय के उत्सव, पर्व, तीज-त्योहार, प्रकृति और जीव जंतुओं से जुड़ाव, लोक देवताओं, मान्यताओं, संस्कारों, परंपराओं, रंगों का चटख प्रयोग, खास शैली, विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की साधना और समाज के सामान्य जीवन शैली की झलक दिखाई गई है। इन सभी आर्ट्स को वेस्ट जोन कल्चर सेंटर, उदयपुर के कलेक्शन में चुनकर यहां शोकेस किया गया है। प्रदर्शनी 8 अक्टूबर तक आरआईसी के एग्जिबिशन हॉल 3 में जारी रहेगी।
Published on:
19 Sept 2023 04:07 pm