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Energy Corporation: राजस्थान में ही लगेंगे पावर प्लांट, लेकिन बिजली खरीद पर अड़ा ऊर्जा निगम, जानें कारण

राजस्थान ऊर्जा विकास निगम को 3200 मेगावाट बिजली खरीद की प्रस्तावित योजना पर बैकफुट आना पड़ा है। पहले अनुबंधित कंपनियों को प्रदेश से बाहर पावर प्लांट लगाने की छूट दी गई थी, लेकिन विशेषज्ञों की आपत्तियों के बाद यह विकल्प हटा दिया गया है।

Rajasthan Energy Development Corporation: राजस्थान ऊर्जा विकास निगम को 3200 मेगावाट बिजली खरीद की प्रस्तावित योजना पर बैकफुट आना पड़ा है। पहले अनुबंधित कंपनियों को प्रदेश से बाहर पावर प्लांट लगाने की छूट दी गई थी, लेकिन विशेषज्ञों की आपत्तियों के बाद यह विकल्प हटा दिया गया है। निगम ने स्पष्ट किया है कि प्लांट राजस्थान में ही लगाने होंगे। हालांकि, 25 साल की लंबी अवधि के लिए बिजली खरीद पर अब भी अडिग है, जबकि राज्य में 36 हजार मेगावाट से अधिक क्षमता के थर्मल, सोलर व विंड पावर प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इस मामले में राज्य विद्युत विनियामक आयोग में आपत्ति दर्ज कराने की तैयारी है। ऊर्जा विकास निगम ने आयोग में इस प्रोजेक्ट के लिए याचिका लगाई हुई है।

आत्मनिर्भर बनाने के लिए चल रहा काम

केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के साथ 2.30 लाख करोड़ रुपए के एमओयू हुए हैं, जिनसे 45 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। अनुबंध के तहत 50 प्रतिशत हिस्सा मिलता है तो भी 22 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली मिलेगी।

लंबी अवधि के अनुबंध पर निगम का तर्क

1000 मेगावाट सौर ऊर्जा कार्यालयों की छत पर लगने वाले सोलर प्लांट से
1500 मेगावाट बिजली पीएम सूर्यघर रूफटॉप सोलर से
12000 मेगावाट बिजली कुसुम ए व सी के जरिए सोलर प्लांट से, इसमें से 6288 मेगावाट के कार्यादेश जारी हो चुके हैं।

इनसे अनुबंध…

7580 मेगावाट- राज्य विद्युत उत्पादन निगम
1080 मेगावाट- राजवेस्ट
1320 मेगावाट- अडानी
250 मेगावाट- नेवेली लिग्नाइट

इसलिए बैकफुट पर

निगम अधिकारियों ने केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि प्रदेश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। केवल अक्षय ऊर्जा पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इन स्रोतों से 24 घंटे स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की जा सकती। इसलिए बिजली की नियमित आपूर्ति के लिए थर्मल पावर प्लांट जरूरी है। इनकी स्थापना में बड़ा निवेश होता है, इसलिए लम्बी अवधि के लिए अनुबंध जरूरी हो जाते हैं।

एक्सपर्ट ये बोले…

लंबी अवधि के अनुबंध राज्य को भविष्य में महंगी बिजली के बोझ तले दबा सकते हैं। नीति बनाते समय लचीलापन और आगामी तकनीकी परिवर्तनों की संभावना को ध्यान में रखना जरूरी है। थर्मल प्लांट की जगह हाईब्रिड मॉडल पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। 3200 मेगावाट के इस प्रोजेक्ट पर आयोग में आपत्ति दर्ज कराएंगे। -डी.डी. अग्रवाल, एक्सपर्ट