
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर। फोटो: पत्रिका
जयपुर। सरकारी स्कूलों के बच्चों का तकनीकी ज्ञान बढ़ाने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों में लगाई जाने वाली आइसीटी लैब के 359 करोड़ के टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी उजागर हुई है। उच्च्च स्तर पर शिकायत के बाद अब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस टेंडर प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया है। अब नए सिरे से कमेटी की निगरानी में पारदर्शिता के साथ टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, बच्चों की तकनीकी ज्ञान दिलाने के बजाय अफसर खुद का फायदा देख रहे है। टेंडर प्रक्रिया में चहेती फर्मों को लाभ देने के लिए सारे नियम-कायदे ताक पर रख दिए थे। आलम यह है कि गड़बड़ी की शिकायत शिक्षा मंत्री तक पहुंची तो मंत्री ने तीन बार निविदा को निरस्त कर पारदर्शी तरीके से फिर से निविदा जारी करने के निर्देश दिए जा चुके।
इतना ही नहीं, दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही तक करने के निर्देश भी दे दिए। लेकिन कार्यवाही करने के बजाय अफसरों ने निविदा प्रक्रिया को आगे बढ़ा दिया था। इस पूरे प्रकरण की शिकायत अब मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय तक भी पहुंची थी।
गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग में समग्र शिक्षा के तहत आइसीटी लैब स्थापना को लेकर पिछले तीन वर्षों में आमंत्रित की गई सभी निविदाओं में 15 से 18 प्रतिशत तक वीलो रेट पर निविदाओं को प्राप्त किया गया था। इससे केन्द्र और राज्य सरकार पर करीब 120 से 130 करोड़ का कम वित्तीय भार आया था। लेकिन वर्तमान में आइसीटी लैब स्थापना को लेकर आमंत्रित की गई 359 करोड़ लागत की निविदा में विभाग के अफसर कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए 'पूल के खेल से केन्द्र व राज्य सरकार को 50 करोड़ से ज्यादा का वित्तीय नुकसान हो रहा था।
शिकायत में बताया है कि निविदा में तीन कंपनियों ने गलत वित्तीय दस्तावेज पेश किए हैं। प्रारंभिक स्तर पर ही इन तीनों कंपनियों को खारिज कर देना चाहिए। लेकिन अफसरों ने इसे नजरअंदाज कर क्रय समिति पर दबाव बनाकर तकनीकी निविदा खोल दी। विभाग के ही और निविदा की कय प्रक्रिया में शामिल एक अधिकारी की ओर से यह शिकायत की गई है।
मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में बताया है कि लैब स्थापना के कार्यों में चहेती कंपनियों के अनुसार गत आठ महीने से बार-बार निविदा के नियमों व शर्तों में बदलाव किया गया। आनन-फानन में निविदा की तकनीकी बिड भी खोल दी थी। निविदा में चार फर्मों को शामिल किया गया। आरोप है कि जिन कंपनियों को इनमें शामिल किया गया है, कुछ कंपनियां घटिया व निम्न स्तरीय व मेड इन चाइना आइटम की सप्लाई करने के कारण पहले से ही जांच के दायरे में है। विभाग ने कंपनी का समस्त भुगतान पर रोक लगा रखी है।
राष्ट्रीय शिक्षा पॉलिसी के तहत सरकारी स्कूलों में आइसीटी लैब की स्थापना की जा रही है। केन्द और राज्य सरकार के सहयोग से बच्चों को आधुनिक तकनीक का ज्ञान देने के लिए ये लैब लगाई जा रही हैं। इन लैब्स का उद्देश्य छात्रों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ना, कंप्यूटर और इंटरनेट का उपयोग सिखाना है।
Updated on:
27 Sept 2025 08:43 am
Published on:
27 Sept 2025 08:42 am
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