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मानव तस्करी का नया गढ़ बना राजस्थान! 5 साल में 2711 चाइल्ड ट्रैफिकिंग केस, विश्व मानव तस्करी निषेध दिवस पर खुली भयावह तस्वीर

Rajasthan child trafficking cases: सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इसमें बड़ी संख्या में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी शिकार बन रहे हैं।

photo - patrika

हर साल 30 जुलाई को 'विश्व मानव तस्करी निषेध दिवस' मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य मानव तस्करी जैसे अमानवीय अपराध को उजागर करना, पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करना और इस अपराध के खिलाफ जनजागृति फैलाना है। हालांकि कई प्रयासों के बावजूद भारत में यह गंभीर सामाजिक समस्या आज भी जारी है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इसमें बड़ी संख्या में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी शिकार बन रहे हैं।

आंकड़ों में खुली सच्चाई – राजस्थान और बिहार सबसे आगे

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 से 2022 तक राजस्थान और बिहार देश में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के सबसे बड़े केंद्र बनकर उभरे हैं। राजस्थान में इन पांच वर्षों में 2711 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है,
जबकि बिहार में यह संख्या 1848 रही। इन आंकड़ों से साफ जाहिर है कि भले ही सरकारें बाल श्रम और तस्करी को समाप्त करने के लिए कानून बना रही हों, लेकिन जमीनी हकीकत अब भी डरावनी है।

क्यों बन रहा है राजस्थान चाइल्ड ट्रैफिकिंग का केंद्र ?

राजस्थान में मानव तस्करी की स्थिति विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में ज्यादा गंभीर है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और सामाजिक जागरूकता की कमी के कारण यहां के बच्चे दलालों के आसान निशाना बन जाते हैं। अक्सर बच्चों को बाल मजदूरी, घरेलू काम, भिक्षावृत्ति और देह व्यापार जैसे कार्यों में जबरन धकेला जाता है।

राज्य सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रयास

2016 के बाद सरकार और कई गैर सरकारी संगठनों (NGOs) ने मिलकर बाल तस्करी के मामलों में कमी लाने की दिशा में प्रयास किए हैं। प्रदेश के हर जिले में Anti Human Trafficking Unit (AHTU) का गठन किया गया है जो तस्करी से जुड़े मामलों की पहचान और कार्रवाई करती है।

जयपुर में राज्य स्तरीय सम्मेलन – क्या निकला नतीजा ?

18 और 19 जुलाई को राजस्थान पुलिस अकादमी, जयपुर में एक राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें पुलिस, महिला एवं बाल विकास, श्रम विभाग, सामाजिक न्याय, महिला आयोग और NGOs ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का नेतृत्व DG सिविल राइट्स एवं AHTU प्रमुख मालिनी अग्रवाल ने किया। इस सम्मेलन में मानव तस्करी के मुख्य कारण, बचाव के उपाय, पीड़ितों की पुनर्वास प्रक्रिया और जिलों में AHTU की कार्यप्रणाली को बेहतर करने के सुझावों पर चर्चा हुई। यह भी निर्णय लिया गया कि AHTU यूनिट की निगरानी राज्य गृह विभाग द्वारा की जाएगी।