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साइबर स्कैम के खिलाफ CBI का बड़ा एक्शन: राजस्थान सहित 7 राज्यों में ताबड़तोड़ छापेमारी

Cyber Crime : सीबीआई ने साइबर धोखाधड़ी और म्यूल खाता नेटवर्क के संबंध में सात राज्यों में फिर ली तलाशी। साइबर धोखाधड़ी की आय को चैनलाइज करने, छिपाने और म्यूल अकाउंट खोलने में भूमिका निभाने वाले 3 आरोपी गिरफ्तार। अब तक 37 में से 13 आरोपी पकड़े जा चुके, आगे भी अभियान जारी रहेगा।

जयपुर

MOHIT SHARMA

Jul 18, 2025

Photo: Patrika Network
Photo: Patrika Network

जयपुर. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ( CBI ) ने साइबर अपराध ( Cyber Scam ) और डिजिटल अरेस्ट घोटालों से निपटने के लिए ऑपरेशन चक्र-5 ( Operation Chakra-5 ) के तहत किए जा रहे प्रयासों को जारी रखते हुए सात राज्यों में फिर से तलाशी अभियान शुरू किया। जिसमें दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के कई स्थान शामिल हैं। सीबीआई को देशभर की 700 से अधिक बैंक शाखाओं में 8.5 लाख म्यूल खातों ( Mule Accounts ) का पता चला था, जो डिजिटल अरेस्ट, निवेश घोटाले और यूपीआई आधारित ठगी जैसे अपराधों में इस्तेमाल हो रहे थे।

भारी मात्रा में आपत्तिजनक साक्ष्य मिले

सीबीआई को अब तक मोबाइल फोन, बैंक खाता खोलने के दस्तावेज, लेन-देन रिकॉर्ड और केवाईसी दस्तावेजों सहित भारी मात्रा में आपत्तिजनक साक्ष्य मिले हैं, जिन्हें जब्त किया गया है। इस अभियान में विभिन्न साइबर धोखाधड़ी से प्राप्त आय को चैनलाइज करने और छिपाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले म्यूल बैंक खातों की सुविधा प्रदान करने और उन्हें संचालित करने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले 03 व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया है।

सीबीआई उन म्यूल खातों की पहचान कर रही है जिनमें अपराध की आय को चैनलाइज कर छुपाते हैं। गिरफ्तार किए गए व्यक्ति इन म्यूल बैंक खातों के संचालन में मदद करते थे, जिनका उपयोग डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों, छद्मरूपण, धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों, निवेश धोखाधड़ी और अन्य संबंधित साइबर अपराधों के माध्यम से उत्पन्न अपराध की आय को स्थानांतरित करने के लिए किया जाता था।

ऐसे काम करता था गिरोह

विशिष्ट स्रोत से मिली जानकारी और सत्यापन के बाद, सीबीआई ने 37 आरोपियों के खिलाफ आईपीसी/बीएनएस और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया। म्यूल खाताधारकों और बिचौलियों/एजेंटों और बैंक कर्मचारियों के रूप में काम करने वाले ये व्यक्ति जानबूझकर साइबर अपराधियों के साथ मिलीभगत करके म्यूल खाते खोलते और संचालित करते थे। इनका उपयोग साइबर धोखाधड़ी से धन प्राप्त करने, स्थानांतरित करने और निकालने के लिए किया जाता था। इससे पहले, सीबीआई ने जून में विभिन्न राज्यों में 40 स्थानों पर तलाशी ली थी और इसी तरह के अपराधों के लिए 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

ऐसे बांट रखा था काम

पहला स्तंभ वित्तीय बुनियादी ढांचा है, जिसमें म्यूल खाते, अनधिकृत भुगतान गेटवे और साइबर अपराधियों द्वारा दुरुपयोग किया जाने वाला व्यापक फिनटेक इकोसिस्टम शामिल है।

दूसरा स्तंभ दूरसंचार/संचार बुनियादी ढांचा है जिसमें म्यूल सिम कार्ड, पॉइंट-ऑफ-सेल एजेंट शामिल हैं जो अवैध सिम सक्रियण की सुविधा देते हैं और ऐसे सिम कार्ड की आपूर्ति करने वाले नेटवर्क हैं।

तीसरा स्तंभ मानव संसाधन नेटवर्क है जिसमें साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए लोगों की भर्ती और शोषण में लगे संगठित सिंडिकेट शामिल हैं, जिसे अब 'साइबर स्लेवरी' के रूप में जाना जाता है। तीसरा स्तंभ ज्यादातर समय भारत की सीमाओं के बाहर संचालित होता है।