जयपुर. राज्य सरकार ने आयुष विभाग के तहत विभिन्न जिलों में शल्य (सर्जरी) विशेषज्ञों के पद तो तय कर दिए, लेकिन अधिकांश जगह नियुक्तियां नहीं होने से जिला स्तर पर आयुर्वेद सर्जरी की सेवाएं ठप हैं। जयपुर जैसे कुछ बड़े केंद्रों को छोड़ दें तो प्रदेश के अधिकतर जिलों में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की आधुनिक शल्य सेवाएं न के बराबर हैं। यह स्थिति तब है जब आयुर्वेद सर्जरी पद्धति कई गंभीर बीमारियों के इलाज में प्रभावी मानी जा रही है।
राजधानी जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान और कुछ आयुर्वेदिक अस्पतालों में कैंसर, स्त्री रोग, पाइल्स, फिस्टूला, फिशर, हर्निया जैसी बीमारियों की सर्जरी नियमित रूप से की जा रही हैं। संस्थान के शल्य विभाग में प्रतिमाह औसतन 60 से 80 सर्जरी की जा रही हैं।
जयपुर के जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के आयुर्वेद अस्पताल में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। यहां मरीज न केवल आयुर्वेदिक दवाओं और औषधियों का सहारा ले रहे हैं, बल्कि ब्रेस्ट कैंसर के लिए सर्जरी भी करवा रहे हैं। शल्य तंत्र विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, ओपीडी में हर दिन ब्रेस्ट कैंसर के 10-15 मरीज आ रहे हैं, जिनमें तीन से चार नए मरीज भी शामिल हैं। हर सप्ताह दो से तीन मरीजों की सर्जरी की जा रही है।
मैंने कई डॉक्टरों से परामर्श लिया लेकिन ऑपरेशन की तारीख दो महीने बाद मिली। फिर मुझे आयुर्वेद में ऑपरेशन की जानकारी मिली और महज 7 दिन में मेरी सर्जरी हो गई। अब पूरी तरह ठीक हूं। इसी तरह टोंक जिले से आए राजेश पाइल्स की तकलीफ से परेशान थे। उन्होंने बताया कि जयपुर में आयुर्वेदिक केशरसूत्र विधि से इलाज कराया और अब पूरी राहत है।
आयुर्वेद के सर्जरी विशेषज्ञों को 58 तरह की सर्जरी का अधिकार देने का स्पष्टीकरण भारत सरकार एवं भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग की ओर से किया गया। वर्ष 2016 में सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन की ओर से आयुर्वेद में एमएस अर्थात सर्जरी विशेषज्ञ संशोधन करके दिया गया था। अभी बीएएमएस के कोर्स में भी औषधि-सर्जरी पढ़ाई जाती है। स्नातकोत्तर डिग्री एमएस भी दी जाती है।
आयुष विभाग की ओर से प्रदेश के 33 जिलों में आयुर्वेद सर्जरी यूनिट की स्थापना का प्रस्ताव बना था, जिसमें हर यूनिट के लिए कम से कम एक शल्य चिकित्सक, एक एनेस्थेटिस्ट और एक ऑपरेशन थिएटर सहायक की आवश्यकता थी। लेकिन यह सिर्फ कागजों में है। कहीं भवन हैं तो स्टाफ नहीं, कहीं पद तय हैं तो नियुक्तियां नहीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि आयुर्वेद सर्जरी को जिला अस्पतालों में विस्तार दिया जाए तो यह मुख्यधारा चिकित्सा का एक सशक्त विकल्प बन सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां ऑपरेशन की लंबी प्रतीक्षा सूची और खर्च की समस्या होती है।
राज्य के जिला चिकित्सालयों में भी आयुष नीति के तहत शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ का पद तय किया गया है, लेकिन सुविधा न के बराबर है। वहां शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ के पद पर नियुक्तियां नहीं है। वर्ष 2021 की नई आयुष नीति में इन्हें शामिल किया गया है। डॉ.रामावतार शर्मा, पूर्व वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, संयोजक भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा महासंघ राजस्थान
Published on:
10 Jul 2025 10:12 am