जयपुर। प्लेबैक सिंगिंग में अगर आपको ऑटो ट्यून की आदत पड़ गई, तो कलाकार मेहनत भी छोड़ देते हैं। ऐसे कलाकार जब गायकी में उतरते हैं, तो वे मेहनत करने वाले सिंगर की जगह पर काबिज होने लगते हैं। ऐसे कलाकारों का अगर कोई गाना इत्तेफाक से पॉपुलर हो जाए, तो इससे संदेश यही जाता है कि रियाज की जरूरत नहीं, ऐसे भी काम मिल सकता है। यह न्याय नहीं है। ऑटो ट्यून आपकी आवाज सही कर सकता है, आपकी गायकी नहीं। गायकी कभी विरासत में नहीं मिलती। इसे सीखना ही पड़ेगा। भाषा कोई भी हो, वही सात सुर हैं। देवनागरी लिपी ऐसी है जिसमें दुनिया की कोई भी भाषा उसके शब्दों का उच्चारण एग्जेक्ट लिख सकते हो। देवनागरी लिपी गायकी में बहुत हेल्प करती है।
एक प्लबैक सिंगर की सिंगिंग में कन्विंसिंग पॉवर का होना बहुत जरूरी है। आप जो गा रहे हैं, उसका भाव उसके शब्द को अच्छे से कहना बहुत जरूरी है क्योंकि शब्द दिल को सुर से पहले छूता है। आपकी वॉयस मॉड्यूलेशन और गाने का अंदाज सिंगर को उस किरदार की छाया बना देता है। मैं मां के थैले से पैसे चुराकर कभी-कभी स्कूल बंक कर सिनेमा देखता था। चाव ऐसा था कि बिना पलकें छपकें सीन देखता था ताकि कोई फ्रेम न छूट जाए। मैं सोचता था कि कैमरा ऐसा क्यों लगाया, सीन ऐसे क्यों शूट किया। उस दौर के बने हुए गानों को उस जमाने के लोग सुनकर जो आनंद लेते थे, उन्हें सुनकर आज भी वही आनंद आता है, यही सच्चा और अमर संगीत है। आज इंडस्ट्री में यह सोच हो गई है कि यह तो पुराने रंग-ढंग का गवैया है, आज के स्टाइल में नहीं गा पाएगा। मैं कहता हूं कि मुझे किसी भी स्टाइल का गाना दीजिए, अगर न गाऊं तो जो कहो हारने को तैयार हूं।
Published on:
09 Sept 2023 11:39 pm