जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय माता-पिता से जन्मी 5 वर्षीय बच्ची की भारत में रहने की समस्या का समाधान किया। मां के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं देने से वीजा विस्तार अटका हुआ था।
कोर्ट ने कहा कि माँ की एनओसी के बिना बच्ची का वीज़ा अधिकतम अवधि तक बढ़ाया जाए, जिससे उसे अपने भारतीय पिता के साथ रहने का अधिकार मिल सके। साथ ही, बाल हितों को सर्वोपरी रखते हुए केन्द्र सरकार को ऐसे मामले में नागरिकता कानूनों पर पुनर्विचार का निर्देश भी दिया।
न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने ऑस्ट्रेलिया में जन्मी 5 वर्षीय सेहर गोगिया के मामले में यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता के भारतीय नागरिक माता-पिता का 7 वर्ष पहले भारत में विवाह हुआ। वे ऑस्ट्रेलिया गए, जहां सेहर का जन्म हुआ।
वह वैध वीजा पर मां-बाप के साथ भारत लौटी, जो बाद में बढ़ाया गया। बाद में माता-पिता का रिश्ता टूट गया और अब पिता के साथ है। मां के एनओसी देने से इनकार करने से सेहर का वीजा विस्तार अटक गया, जिस पर उसने पिता भारतीय नागरिक सौरभ गोगिया के जरिए याचिका दायर की।
कोर्ट ने संवेदनशील फैसला देते हुए विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ) को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की मां से एनओसी लिए बिना वीजा अधिकतम अवधि के लिए बढ़ा दिया जाए।
साथ ही, पिता को बालिका के ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड के लिए आवेदन की छूट दी। कोर्ट ने आव्रजन ब्यूरो को आवेदन पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि (यूएनसीआरसी) का हवाला देते हुए कहा कि बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है और उसे कानूनी रूप से आवश्यक होने पर ही माता-पिता से अलग करना उचित है।
कोर्ट ने नागरिकता कानूनों की समीक्षा करने पर जोर दिया, वहीं संयुक्त राष्ट्र व यूनिसेफ से जुड़े 190 देशों के अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे में सहयोग बढ़ाने और बच्चों की बेहतरी के लिए कानूनी मानकों में सामंजस्य की अपील की।
यह भी कहा कि ऐसी परिस्थितियों के समाधान के लिए प्रभावी और लचीला कन्वेंशन आवश्यक है, जिसमें बच्चे का कल्याण सर्वोपरि हो।
Updated on:
06 Aug 2025 05:45 pm
Published on:
06 Aug 2025 04:41 pm