जयपुर। राजस्थान अपने ऐतिहासिक किलों और रेगिस्तानी सौंदर्य के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है, लेकिन अब रेलवे के नक्शे पर भी राजस्थान तेजी से उभर रहा है। बीते कुछ सालों में ट्रेनों की गति और सुविधाओं में आई क्रांति ने न केवल यात्रियों का सफर आसान किया है, बल्कि टूरिज्म, व्यापार और दैनिक यात्रा के स्वरूप को भी बदल दिया है।
आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान में दौड़ने वाली 5 सबसे तेज ट्रेनों की और खासतौर पर यह जानेंगे कि वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस में किसकी रफ्तार अधिक है। वहीं दोनों ट्रेनों में क्या खास अंतर हैं।
श्री सालासर बालाजी मंदिर के नाम पर चलने वाली यह ट्रेन धार्मिक यात्रियों के लिए एक शानदार विकल्प बन चुकी है।
दूरी: 623 किमी
समय: लगभग 11 घंटे 15 मिनट
औसत गति: 55 किमी/घंटा
टॉप स्पीड: 110 किमी/घंटा
हालांकि यह लंबी दूरी की ट्रेन है, लेकिन इसका सफर समय और सुविधा दोनों के मामले में शानदार है।
व्यापारिक और पारिवारिक यात्राओं के लिए यह ट्रेन राजस्थान और महाराष्ट्र के बीच अहम कड़ी है।
दूरी: 1,162 किमी
समय: लगभग 16 घंटे 55 मिनट
औसत गति: 69 किमी/घंटा
टॉप स्पीड: 130 किमी/घंटा
राजस्थान के दो बड़े पर्यटन शहरों को जोड़ने वाली इस वंदे भारत ट्रेन ने पर्यटन उद्योग को नई रफ्तार दी है। यह ट्रेन विदेशी पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है जो जयपुर से रणकुंभा और लेक सिटी उदयपुर के बीच तेज और सुरक्षित यात्रा चाहते हैं।
दूरी: 435 किमी
समय: लगभग 6 घंटे
औसत गति: 72 किमी/घंटा
टॉप स्पीड: 110–120 किमी/घंटा
कभी राजस्थान की सबसे तेज ट्रेन मानी जाने वाली यह ट्रेन अब दूसरे नंबर पर है, लेकिन इसकी सेवा और समयबद्धता आज भी यात्रियों की पहली पसंद है।
दूरी: 444 किमी
समय: लगभग 6 घंटे 15 मिनट
औसत गति: 67 किमी/घंटा
टॉप स्पीड: 130 किमी/घंटा
स्टॉपेज: जयपुर, गुरुग्राम, रेवाड़ी, अलवर सहित कुल 7 स्टेशन
कुल दूरी: 428 किमी
यात्रा समय: लगभग 5 घंटे 15 मिनट
औसत स्पीड: 81 किमी/घंटा
टॉप स्पीड: 130–160 किमी/घंटा
स्टॉपेज: दिल्ली कैंट, गुरुग्राम, रेवाड़ी, अलवर, जयपुर, अजमेर
इसका सबसे बड़ा फायदा दिल्ली से अजमेर का सफर अब 1 घंटे कम हो गया है। वहीं पहले शताब्दी से लगभग 6 घंटे 15 मिनट लगता था। वंदे भारत के पहले दिल्ली से जयपुर जाना थकावट भरा था लेकिन अब अब वंदे भारत से ऑफिस के काम के लिए सुबह निकलकर शाम तक दिल्ली लौट आना भी मुमकिन है।
शताब्दी की टाइमिंग, ऑन-टाइम डिपार्चर और फूड सर्विस इसे अब भी रेगुलर बिजनेस यात्रियों के लिए भरोसेमंद बनाते हैं। स्पीड और तकनीक के मामले में वंदे भारत आगे है, लेकिन कई यात्रियों के लिए शताब्दी की स्थिरता और परंपरा अब भी ज्यादा विश्वसनीय है।
रेल मंत्रालय के अनुसार, भविष्य में कोटा, अलवर, भरतपुर और बीकानेर जैसे शहरों को भी तेज ट्रेनों से जोड़ने की योजना है। इसके साथ ही, ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए ट्रैक अपग्रेड, सिग्नल सिस्टम सुधार और स्टेशन मॉडर्नाइजेशन पर भी काम चल रहा है।
राजस्थान में रेल यात्रा अब केवल सफर नहीं रही, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और जीवनशैली को नई गति देने वाला एक अहम उपकरण बन चुकी है। वंदे भारत जैसी तेज ट्रेनों ने जहां यात्रियों को समय की बचत और सुविधा दी है, वहीं शताब्दी जैसी क्लासिक ट्रेनें आज भी यात्रियों के दिल में खास जगह रखती हैं।
आने वाले समय में राजस्थान में बुलेट ट्रेन भी दौड़ेगी, इसको लेकर डीपीआर बनाने पर काम चल रहा है। भविष्य में जब ट्रेनों की स्पीड और सुविधाएं और बढ़ेंगी, तो शायद राजस्थान रेलवे के नक्शे पर देश की सबसे तेज गति का केंद्र बनकर उभरे।
Updated on:
15 Jul 2025 08:27 pm
Published on:
15 Jul 2025 07:41 pm