3 अगस्त 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

World Lung Cancer Day: फेफड़ों के कैंसर पर नई चेतावनी… दूसरों के धुएं से भी बिगड़ सकती है सेहत

World Lung Cancer Day: डब्ल्यूएचओ के अनुसार सेकंड हैंड स्मोक के कारण हर साल विश्वभर में 12 लाख से अधिक लोग गैर-धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होते हैं।

World Lung Cancer Day (Photo source- AI)
World Lung Cancer Day (Photo source- AI)

World Lung Cancer Day: फेफड़ों का कैंसर (लंग्स कैंसर) एक गंभीर बीमारी है, जिसे आमतौर पर सिगरेट पीने से जोड़ा जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब चेतावनी दे रहे हैं कि धूम्रपान करने वालों के आसपास रहने से भी यह खतरा बढ़ सकता है। सेकंड हैंड स्मोक (दूसरे के धूम्रपान से निकलने वाला धुआं) और पर्यावरणीय प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारणों में शामिल हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सेकंड हैंड स्मोक के संपर्क में आने से हर साल लाखों लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। इस खतरे के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संगठन सक्रिय रूप से अभियान चला रहे हैं।

World Lung Cancer Day: पर्यावरणीय प्रदूषण से भी नुकसान

फेफड़ों का कैंसर केवल धूम्रपान या सेकंड हैंड स्मोक तक सीमित नहीं है। पर्यावरणीय प्रदूषण, जैसे वाहनों का धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, और घरों में जलने वाले चूल्हे का धुआं भी फेफड़ों के लिए हानिकारक है। इसके अलावा, रेडॉन गैस (जो कुछ मिट्टियों और चट्टानों से निकलती है) और एस्बेस्टस जैसे पदार्थ भी कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।

सेकंड हैंड स्मोक… एक अदृश्य खतरा

सेकंड हैंड स्मोक वह धुआं है, जो धूम्रपान करने वाले व्यक्ति द्वारा छोड़ा जाता है या जलती हुई सिगरेट, बीड़ी, या अन्य तंबाकू उत्पादों से निकलता है। यह धुआं न केवल धूम्रपान करने वाले के लिए हानिकारक है, बल्कि आसपास मौजूद लोगों के लिए भी खतरनाक है। इसमें 7,000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से कम से कम 70 कैंसर का कारण बन सकते हैं।

जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनुरूप साहू बताते हैं कि लोगों को लगता है कि सिर्फ सिगरेट पीने से ही फेफड़ों का कैंसर होता है, लेकिन यह एक गलत धारणा है। जो लोग धूम्रपान नहीं करते, लेकिन धूम्रपान करने वालों के पास रहते हैं, खासकर घर, कार्यस्थल, या सार्वजनिक स्थानों पर, उन्हें भी कैंसर का खतरा होता है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह और भी घातक है।

जागरूकता और बचाव के उपाय

धूम्रपान से दूरी बनाएं

सेकंड हैंड स्मोक से बचें

सार्वजनिक स्थानों पर नियम लागू करें

स्वच्छ हवा सुनिश्चित करें (घरों में अच्छा वेंटिलेशन रखें और चूल्हे के धुएं को कम करने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करें)

नियमित स्वास्थ्य जांच (फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षणों, जैसे लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, या सीने में दर्द, को नजरअंदाज न करें। तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें)

World Lung Cancer Day: डब्ल्यूएचओ के अनुसार सेकंड हैंड स्मोक के कारण हर साल विश्वभर में 12 लाख से अधिक लोग गैर-धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होते हैं। भारत में फेफड़ों के कैंसर के 10-15 प्रतिशत मामले उन लोगों में देखे जाते हैं, जो स्वयं धूम्रपान नहीं करते, लेकिन सेकंड हैंड स्मोक के संपर्क में आते हैं। बस्तर जैसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में बीड़ी और स्थानीय तंबाकू उत्पादों का उपयोग आम है, जिससे सेकंड हैंड स्मोक का खतरा और बढ़ जाता है।