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12 साल बाद स्कूल पुन: चालू

जहां स्कूल भवन नहीं और एक भी बच्चे का दाखिला नहीं ऐसे स्कूल में पदोन्नत कर शिक्षक को दी पोस्टिंग, पदोन्नत होकर पहुंचे शिक्षक ने सर्वे कर छह बच्चों का करवाया दाखिला

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करकापारा गांव

करकापारा गांव

सुकमा . सुकमा जिले में एक आश्चर्यचकित करने वाला मामला सामने आया है जहां पर ना तो स्कूल भवन है ना ही स्कूल में बच्चों की दाखिला हुआ है ऐसे स्कूल में पदोन्नत कर एक शिक्षक की पोस्टिंग कर दी जाती है अब शिक्षक के सामने चुनौती है कि वह वहां जाकर कहां स्कूल लगाए और किस स्थान पर बच्चों की पढ़ाई करवाए।

यह मामला सुकमा जिले के ग्राम पंचायत बडेसट्टी अंतर्गत ग्राम करकापारा का है, जहां पर वर्ष 2012 से स्कूल बंद हो चुका है। जबकि 2006 में यहां पर स्कूल का संचालन शुरू किया गया था। वहीं यह इलाका काफी नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने से इस इलाके में ना तो पहुंच मार्ग है ना ही गांव में बुनियादी सुविधाएं अब तक पहुंच पाई हैं। शिक्षा विभाग की पदोन्नति लिस्ट जहां विवादों में पहले से घिरी हुई है, तो दूसरी ओर शिक्षा विभाग की एक लापरवाही भी देखने को मिली कि जहां पर ना तो स्कूल भवन है ना ही अध्यापन के लिए बच्चों का दाखिला हुआ था। ऐसे स्कूल में एक शिक्षक की पदोन्नत कर पोस्टिंग दी जाती है। अब शिक्षक के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है कि अब इन बच्चों को कहां पर और कैसे पढ़ाया जाए।
शिक्षक चंद्रमणी शर्मा ने बताया कि पदोन्नति के बाद करकापारा प्राथमिक शाला में पदस्थ पदस्थापना हुई है। स्कूल यहां पर 2012 से स्कूल बंद था। 28 अक्टूबर 2022 को सीआरसी के पास जॉइनिंग लेने के उपरांत गांव में सर्वे कर बच्चों को दाखिला करवाया गया है। गांव में 6 बच्चे का दाखिला किया गया है। फिलहाल अभी यहां से डेढ़ किमी दूर गंधारपारा के स्कूल में एक साथ स्कूल का संचालन किया जा रहा है। करकापारा गांव में एक भी भवन नहीं है। जबकि करकापारा के 10 बच्चे आसपास के पास आश्रम शालाओं में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले वर्ष 6 बालिकाओं को आश्रम छात्रावास में दाखिला करवाया गया था सभी वापस घर आ गई हैं।

10 वर्ष बाद स्कूल का हुआ संचालन शुरू - ग्राम पंचायत बडेसट्टी अंतर्गत ग्राम करकापारा के अंतर्गत रिमनपारा, टेकापारा के बच्चों के लिए यहां पर स्कूल संचालित किया जा रहा है जबकि यहां पर घरों की संख्या करीब 35 से 40 बताया जा रहा है। यहां पर वर्तमान स्थिति में 6 बच्चों का दाखिला 28 अक्टूबर 2022 को नए शिक्षक की पदोन्नति के बाद किया गया है। इससे पूर्व यहां पर स्कूल बंद था जिसकी वजह से यह बच्चे गांव में ही रहते थे। जबकि यहां पर शिक्षा विभाग को स्कूल संचालन करने की जरूरत थी। इस पर बुनियादी जरूरतों पर कुछ प्रयास किए जा सकते थे लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी को यह भी ज्ञात नहीं है कि इस स्कूल में किसी की पदस्थापना हुई है।

गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव - यह गांव अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के साथ ही काफी अंदरूनी इलाका है, जिसकी वजह से आज भी यहां पर बुनियादी सुविधा गांव तक नहीं पहुंच पाई है। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं बन पाया है, जिसकी वजह से बच्चे आंगनबाड़ी नहीं जाते हैं, और ना ही यहां के नवजात शिशु व गर्भवती माताओं को मिलने वाली योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला योजना भी इस गांव से कोसों दूर है।

ग्रामीण माड़वी जीतू ने बताया कि गांव में स्कूल भवन, आंगनबाड़ी केंद्र की जरूरत है, लेकिन हमारे गांव में पहले स्कूल खुला था, अचानक कई साल पहले बंद हो चुका है, वहीं नए शिक्षक आने से इस बार चालू हुआ है। उन्होंने बताया कि गांव में स्कूल खुले और यहां पर बच्चों की पढ़ाई हो यह हमारी मांग है। इसलिए गांव में स्कूल भवन पर आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण किया जाना चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारी नितिन डड़सेना ने कहा कि इस संबंध में पता करवाता हूं।