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स्कूल बिदाई पर बच्चों नें गांव को दिया विशेष गिफ्ट…ताकि मां-बहनों को पानी के लिए दर-दर भटकना न पड़े

- स्कूल बिदाई पर गांव को विशेष गिफ्ट...ताकि मां-बेटियों को पानी के लिए दर-दर भटकना न पड़े- ३५ बच्चों ने मिलकर एक दिन में तैयार कर दिया छह स्टॉप डेम - मेहनत रंग लाने लगी, अब जमा होने लगा पानी

स्कूल बिदाई पर बच्चों नें गांव को दिया विशेष गिफ्ट...ताकि मां-बहनों को पानी के लिए दर-दर भटकना न पड़े
स्कूल बिदाई पर बच्चों नें गांव को दिया विशेष गिफ्ट...ताकि मां-बहनों को पानी के लिए दर-दर भटकना न पड़े

जगदलपुर. स्कूल के विदाई पर लोग जहां एक ओर अपने दोस्तों और जुनियर से बिछडऩे के गम में डूबे रहते हैं। एक दुसरे से आगे भी मिलते रहेंगे जैसे वादे करते रहते हैं वहीं बस्तर के एक छोटे से गांव के युवाओं ने अपने ही गांव की तस्वीर बदलने की ठानी है। उन्होंने इस मौके पर अपने मां और बहनों की पानी की किल्लत को दूर करने के लिए गांव में छोटे छोटे स्टॉप डेम बनाने का काम पूरा किया। दअरसल गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में यहां अब भूगर्भ जलस्तर तेजी से नीचे चला जाता है। जिसकी वजह से हैंडपंप व पाइप लाइन से पानी पहुंचना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में गांव में घर की मंा व बहने ही पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है।

३५ बच्चों ने मिलकर एक दिन में तैयार कर दिया छह स्टॉप डेमकहते हैं चाह लो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। इस लाइन को करीत गांव के सरकारी स्कूल के बच्चों ने सहीं साबित कर दिखाया है। स्कूल के करीब ३५ बच्चों ने मिलकर एक ही दिन में गांव में अलग-अलग जगहों पर छह स्टॉप डेम तैयार कर दिया है। इस कार्य को देख कर गांव के लोगों के ेभी होश फाख्ता हो गए हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि इस विशेष दिन गांव को इस तरह का विशेष गिफ्ट देना समाज में बड़े और बेहतर परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है।

मेहनत रंग लाने लगी, अब जमा होने लगा पानी

जिन जगहों पर छह छोटे छोटे स्टाप डेम को बनाया गया है वहां धीरे-धीरे पानी जमा होने लगा है। काम के बाद स्टॉप डेम में पानी का स्तर जैसे-जैसे बढऩे लगा सभी बच्चों के चेहरे पर खुशी की लहर नजऱ आने लगी। बच्चों का कहना है कि उनकी मेहनत रंग ले लाई है। 12 वीं के बच्चों ने आगे भी राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ सक्रिय रहकर कार्य करने निश्चय किया।

सर से मांगी मदद, उन्होंने बताया कैसे तैयार कर सकते हैं स्टॉपडेमगांव में पानी की समस्या देख बच्चों ने स्कूल के शिक्षकों से मदद मांगी। शिक्षकों ने भी देर नहीं की और उनकी मदद की। समास्या को देखते हुए पहले जगह का चुनाव किया गया। फिर पूर्व तैयारी जिसमें प्लास्टिक बोरो में आधा आधा रेत भरकर नदी किनारे ले जाया गया। च्चों की टीम बनाकर हर बच्चे को दो बोरे में मिट्टी और रेत का मिश्रण मिलाकर भरकर सीलने कहा गया। इस तरह 54 बोरे भरकर जमा हो गए। इन बोरो को छह जगह जहां पानी पर्याप्त मात्रा में रोका जा सकता है वहां लगाकर स्टॉप डेम तैयार किया गया।

इन शिक्षकों ने भी निभाई अहम भूमिका

कार्यक्रम समन्वयक डीएल पटेल, प्राचार्य लुप्तेश्वर आचार्य, सरपंच मालगांव बलराम, सरपंच गुमडेल हरीश कश्यप, प्राचार्य लुप्तेश्वर आचार्य और कार्यक्रम अधिकारी मोहम्मद अकबर खान इस काम में बच्चों की मदद की है।