जगदलुपर। महिलाएं विशिष्ट संयोग में व्रत रख पूजा-अर्चना कर करवा माता से पति की सलामती की दुआ मांगी। सुहागिन श्रृंगार कर व्रत की कथा सुनीं। पहले यह त्योहार सिर्फ शहर में ही ज्यादा प्रचलित था, लेकिन अब बस्तर के छोटे कस्बों से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी सुहागिनों द्वारा विधि-विधान के साथ करवा चौथ का व्रत रखा गया। व्रत रखने वाली नवविवाहितों में इसे लेकर और अधिक उल्लास देखा गया।
करवा चौथ माता से अपने अखंड सुहाग की कामना की
मान्यता के अनुसार करवा चौथ अनुष्ठान को पूरी विधि विधान से संपन्न करने वाली महिलाएं अखंड सुहागवती रहती हैं। पारंपरिक परंपरा और लोक रिवाज के अनुसार चांद पूजन के दौरान महिलाओं ने चलनी में दीपक रख अपने पति के चेहरे को देखा और करवा चौथ माता से अपने अखंड सुहाग की कामना की। व्रतधारी महिलाओं ने अपने पति के हाथ से पानी पीने और मिठाई से व्रत का पारण करने की रस्म निभाई।
महिलाओं ने अपने हाथों पर मेंहदी रचवाएं
महिलाओं ने चंद्रोदय के दौरान घरों की छतो पर मिट्टी से बने करवे में जलपूर्ण कर चंद्रा का अर्ध दिया। करवा चौथ व्रत के अवसर पर व्रती पूजन के पहले सोलह श्रृंगार की। नए-नए वस्त्र और आभूषणों से सज-धज कर तैयार हुई। कई महिलाओं ने अपने हाथों पर मेंहदी रचवाएं। इस दिन सुबह बाजार में महिलाएं मिट्टी के हैंड डिजाइन वाले करवा और छलनी की खरीदारी की।
Published on:
01 Nov 2023 10:20 pm