जगदलपुर। महापौर सफीरा साहू 11 मार्च को नगर निगम में अपना पांचवां बजट भाषण पढ़ेंगी। पत्रिका ने निगम के पिछले चार बजटों की पड़ताल की तो पाया कि बजट में साल दर साल हुई कई ऐसी घोषणाएं हैं जो पूरी नहीं हो पाईं। शहर सरकार ने हर बजट में अंतराज्यीय बस स्टैण्ड के कायाकल्प के लिए बजट में प्रावधान किया, लेकिन इस पर काम नहीं हुआ। इसी तरह शहर में नगर घड़ी बनाने का वादा भी अधूरा ही रह गया। गंगामुंडा को संवारने की योजना भी बजट की पेटी तक सीमित रह गई। बात करें निगम के घाटे की तो वह भी साल दर बढ़ता ही गया। पिछली बार निगम ने 56 लाख रुपए के घाटे का बजट प्रस्तुत किया जो कि पिछले चार साल तक इसी तरह से जारी रहा है। इस बार भी दावा किया जा रहा है बजट शहर की जनता की उम्मीदों को पूरा करने वाला होगा लेकिन जब पिछले बजटों को टटोला जाता है तो शहर के हिस्से में निराशा ही आती है। शहर सरकार की तैयारी है कि 11 मार्च को प्रस्तुत होने वाले बजट लोकलुभावन हो क्योंकि इसी साल के अंत में निगम के चुनाव भी होने हैं। इस बीच निगम में जारी सियासी उठापठक ने महापौर समेत सभी एमआईसी मेंबरों की चुनौती बढ़ाई हुई है। निगम कार्यालय में हर दिन बजट को लेकर मंथन हो रहा है।
हर बजट में किया ट्रांसपोर्ट नगर का वादा
निगम के पिछले चार बजट में लगातार शहर में ट्रांसपोर्ट नगर स्थापित करने का वादा किया जाता रहा है, लेकिन अब तक इस पर काम नहीं हो पाया है। इस पर हर साल 5 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की बात कही जाती है लेकिन काम शुरू नहीं होता। शहर की बड़ी जरूरतों में ट्रांसपोर्ट नगर भी है लेकिन इसका काम इस बजट के बाद भी शुरू हो पाना मुश्किल ही है।
ऑनलाइन टैक्स जमा करने का सिस्टम भी नहीं बना
निगम ने पिछले दो बजट में ऑनलाइन टैक्स जमा करने का सिस्टम तैयार करने का वादा किया था। इसके लिए लगातार 25-25 लाख रुपए के प्रावधान किए गए, लेकिन आज भी शहर की जनता ऑफलाइन मोड में ही टैक्स पटा रही है। महानगरों की तर्ज पर टैक्स सिस्टम तैयार करने की तैयारी की गई थी लेकिन पूरा मामला कागजों और घोषणा तक ही सिमट कर रह गया है।
गली-मोहल्लों में सडक़ें और नालियां खूब बनाईं
निगम के बजट से सबसे ज्यादा काम अगर किसी क्षेत्र में हुआ तो वह वार्डों में सडक़ों और नालियों के निर्माण का था। शहर के हर वार्ड में पिछले चार साल में खूब सडक़ें, नालियां बनाई गई हैं। वार्डों की सडक़ों में स्ट्रीट लाइट भी लगाई गई हैं। निगम के बजट से मूलभूत काम तो हुए लेकिन बड़े और उल्लेखनीय प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो पाया।
घाटे का गणित: आय कम खर्च ज्यादा
नगर निगम के बजट में आय और व्यय दोनों का ब्योरा होता है। यानी एक वित्तीय वर्ष में निगम के जिन-जिन मद से आय हुई उसका ब्योरा और जिन-जिन मद में पैसे खर्च हुए वह। निगम हर साल अपने आय से ज्यादा खर्च कर रहा है इसलिए उसका बजट घाटे से फायदे में तब्दील नहीं हो पा रहा है। अलग-अलग तरह के टैक्स की वसूली नहीं होने की वजह से भी निगम अपनी आय को फायदे तक नहीं पहुंचा पाता है।
निगम ने अब तक 62 फीसदी टैक्स ही वसूला
नगर निगम ने इस बार अब तक लक्ष्य का 62 फीसदी टैक्स ही वसूला है। यानी 9 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला जाना अभी भी बाकी है। इस बार टैक्स वसूली को लेकर वृहद स्तर पर अभियान चलाए गए लेकिन बावजूद इसके टैक्स वसूली के मामले में निगम पिछड़ा हुआ है। 31 मार्च तक निगम लक्ष्य पूरा कर पाएगा इसकी कोई संभावना नहीं दिख रही है। बड़े बकायदारों की सूची जारी करने के बाद भी निगम इनसे पूरी तरह वसूली नहीं कर पाया है।
Published on:
04 Mar 2024 09:25 pm