
मवेशियों को चराता स्कूली बालक
कोंटा . एक ओर शासन प्रशासन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे पेश कर रही है। वहीं दूसरी ओर शिक्षक स्कूल से नदारद रहते हैं। जिसके सामने सभी सुविधा शून्य नजर आती है। विकास खंड कोंटा के शिक्षा विभाग के कुछ कर्मचारी अपने कर्तव्य से भागते नजर आ रहे हैं जिसके चलते स्कूली बच्चों का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।, राष्ट्रीय राज मार्ग 30 से लगे प्राथमिक शाला जग्गारम के बच्चों को शिक्षक देखे एक सप्ताह हो गया है। पत्रिका को जग्गारम के ग्रामीण महेंद्र ने बताया की दो शिक्षक पदस्थ होने के बावजूद शाला लगभग बंद की स्थिति में है। बच्चें आते हैं तो सिर्फ मध्यान भोजन के लिए।
प्राथमिक शाला बेलपोच्चा सप्ताह में एक या दो दिन पहुंचते हैं शिक्षक - बण्डा संकुल के प्राथमिक शाला बेलपोच्चा में लाख कोशिशों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षक किसी न किसी बहाने से अनुपस्थित रहते हैं। ऐसा ही ग्राम पंचायत बण्डा के प्राथमिक शाला बेलपोच्चा में शिक्षक ड्यूटी के दौरान शाला से गायब थे। पत्रिका के द्वारा ग्रामीणों से चर्चा की गई तो उन्होने बताया कि शिक्षक सप्ताह में एक या दो दिन के लिए आते हैं। नाम नही बताने के शर्त पर ग्रामीण ने बताया कि बच्चे रोज समय पर स्कूल पहुंच प्रांगण में खेल कर वापस अपने घर चले जाते हैं। इस इलाके में अधिकारी भी नही पहुंचते हैं।
दशहरा से गायब हैं प्रा.शा. सिंदुरगुडा के शिक्षक - किस्टाराम संकुल के प्राथमिक शाला सिंदुरगुडा में स्कूल टाईम पर दरवाजे में ताला लटकता नजर आया। सिंदुरगुडा के ग्रामीण वीरभद्र व रमेश से पत्रिका ने चर्चा किया तो उन्होने बताया कि दशहरा पर्व के बाद से आज तक शिक्षक स्कूल पहुंचे ही नही हैं। पिछले दो वर्ष पूर्व सप्ताह मे एक-दो दिन स्कूल शाला लगता था इस वर्ष शिक्षक लगातार शाला से नदारद हैं। ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक स्कूल से गायब रहने से बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। शासन प्रशासन इस गंभीर समस्या को ध्यान में लेते हुए नियमित रूप से शाला उपस्थित होने वाले शिक्षकों की पदस्थापना करने की मांग की है।
पहले घर के हिस्से को दिया था स्कूल के लिए अब झोपडी बनाकर देने को तैय्यार ग्रामीण - विकास खण्ड कोंटा के अंतर्गत मेहता संकुल के प्रा.शा. पीलावाया में कोंटा से 27 कि.मी. दूरी पर स्थित है। यहां पर भी शिक्षक का आना जाना नहीं होता है। ग्रामीण माडवी मनोज ने पत्रिका से चर्चा में कहा कि पीलावाया में स्कूल भवन नहीं होने के बावजूद ग्रामीण हड़मा ने अपने घर का कुछ हिस्सा स्कूल संचालन के लिए दिया था फिर भी शिक्षक बहुत दिनों से नदारद हैं। उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता देख मरईगुडा (वन) मे भर्ती करवाया लेकिन परिजनों का कहना है की मरईगुडा (वन) पिलावाया से साठ कि.मी. की दूरी पर स्थित है जिसमें 30 किमी. की दूरी पैदल या साईकल से तय करना पड़ता है जिससे कई ग्रामीण अपने बच्चों की पढाई छुड़वा चुके हैं। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से आग्रह किया कि नियमित रूप से स्कूल आने वाले शिक्षक नियुक्ति करने पर गांव मे झोपडी बनाकर देने को भी तैयार हैं। यही हाल रासातोंग, कोर्राजगुडा, किंदलेरपाड का है जोकि इन संस्थाओं में पदस्थ शिक्षक भी अपनी ड्यूटी से कोताही बरतते हैं।
मंत्री व जिला प्रशासन के उम्मीदों पर पानी फेरता शिक्षा विभाग - शिक्षा का अधिकार प्रत्येक बच्चों को प्राप्त हैं स्कूल में बच्चों को जोड़ने के लिए उन्हें पुस्तक दी जाती है, स्कूल ड्रेस भी सरकार के द्वारा दी जाती है। बच्चे भूखे पेट रहे तो उनको शिक्षा ग्रहण करने में कठिनाई आयेगी इस लिए मध्यान भोजन भी संचालित किया जाता है। इन सबके सुविधाओं के बावजूद अपेक्षित सुधार नहीं दिख रहा है। जबसे प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार बनी है विकास खण्ड कोण्टा को प्रथम प्राथमिकता दिया गया है। मंत्री कवासी लखमा व जिला प्रशासन के अथक प्रयास से बंद स्कूलों को पुन: प्रारंभ करवाना हो या अन्यत्र संचालित शालाओं को गृह ग्राम मे प्रारंभ, करवाना हो। लेकिन विकास खण्ड कोंटा के कई शिक्षक अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं। शिक्षा के प्रति जिला प्रशासन के उम्मीदों पर पानी फेरता शिक्षा विभाग नजर आ रहा है। अविभागीय सूत्रों के जानकारी के मुताबिक तमाम लापरवाही व ड्यूटी से गायब रहने के बावजूद एक योजनाबद्ध तरीके से मासिक वेतन निकाल लिया जाता है।
आंधी तूफान से उड़े स्कूल के शीट खण्डर में तब्दील हुआ भवन - मराईगुड़ा वन से मात्र तीन कि.मी. पर स्थित, रामपुरम के ग्रामीणों ने वर्षों से शिक्षकों को नहीं देखा है। रामपुरम में स्कूल भवन व रसोई शेड़ है। दो वर्ष पूर्व आए आंधी तुफान ने स्कूल के शीट उड़ा दी, भवन खण्डर में तबदील हुआ, लेकिन विभाग ने इसे मरम्मत कराना नहीं चाहा। राम पुरम के ग्रामीण, मडकम रामा ने पत्रिका से चर्चा में कहा कि स्कूल जर्जर अवस्था से खण्डर में तबदील हो गया है। फिर भी ग्रामीणो ने स्कूल संचालन के लिए झोपडी बनाया है, संकुल मुख्याल से महज तीन कि.मी दुरी, होने की भावजुद, विगत दो वर्षो से शिक्षक नदारत हैं। ग्रामीण मुड़ा ने कहा है कि, शिक्षक स्कूल नहीं आने की वजह से कई बच्चे अध्यन छोड़ दिए। कई बच्चे मराई गुड़ा के आश्रमों में अध्ययनरत हैं।
एक शाला में पढ़ाते नजर आए शिक्षक - जिस इलाके में अधिकारी तक नही पहुंच पाते वहा के शिक्षक द्वारा शाला का संचालन नियमित रूप से करना या नहीं करना शिक्षक के लिए कोई फरक नही पडता, फिर भी शिक्षक वि. ख. कोंटा के चरमराही शिक्षण व्यवस्था को सुधारने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे है, कोंटा से 25.कि.मी. दूरी पर स्थित संकुल केंद्र मेहता के प्रा. शा. धुरमा में स्कूल, भवन नहीं होने के बावजूद ग्रामीणों के द्वारा बनाई गई झोपड़ी में बच्चो को पढाते हुए देखा गया। जब ग्रामीणों से चर्चा किया गया तो, बताया कि शिक्षक नियमित रूप से दुरमा पहुंच कर पढ़ाने कि बात गामीणों ने कही।
Published on:
11 Nov 2022 07:37 pm
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