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Bastar Olympics 2025: बस्तर ओलंपिक की खिलाड़ी ललिता घायल, इलाज के लिए परिवार ने गिरवी रख दिया सोना

Bastar Olympics 2025: सरकारी अस्पताल की व्यवस्था से असंतुष्ट परिवार ने बेटी की सर्जरी निजी अस्पताल में कराई और इलाज के लिए पुश्तैनी सोना गिरवी रखा।

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Bastar Olympics 2025 (photo source- Patrika)

Bastar Olympics 2025 (photo source- Patrika)

Bastar Olympics 2025: बस्तर ओलंपिक के मैदान पर ललिता (15) का पैर चटका, तो परिवार के सपनों की हड्डी भी टूट गई। बस्तर ओलंपिक के चकाचौंध में जहां तालियां गूंज रही थीं, वहीं एक परिवार ने पुश्तैनी सोने को गिरवी रखकर बेटी की सर्जरी कराई। परिवार ने कहा सोना तो फिर कमाया जा सकता है, लेकिन बेटी के इलाज में देर नहीं होनी चाहिए। यह बातें ललिता के परिवार वालों ने पत्रिका से कहीं।

Bastar Olympics 2025: परिवार ने सोना गिरवी रखकर कराई सर्जरी

दरअसल शुक्रवार को तोकापाल ब्लॉक के मोरठपाल में बस्तर ओलंपिक को जोन स्तर का सलेक्शन कार्यक्रम चल रहा था। इसी दौरान ललिता मौर्य घायल हो गई। किसी तरह उसे मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया। यहां पैर में फ्रेक्चर होने की बात कही गई। पुराने खराब अनुभव को देखते हुए परिवार ने निजी अस्पताल में इलाज करवाने का मन बनाया। इलाज महंगा था तो परिवार ने सोना गिरवी रखकर सर्जरी कराई।

सीईओ ने कहा मुफ्त इलाज की सलाह दी, परिवार ने नहीं माना, निजी अस्पताल पहुंचे। तोकापाल सीईओ नीलू तिर्की ने बताया कि परिवार वालों से कहा गया था कि मेकाज में इलाज हो जाएगा। देरी न हो इसके लिए विशेष प्रयास भी करते। वहीं आयोजन स्थल पर एम्बुलेंस में देरी होने पर मैंने खुद बच्ची को अस्पताल ले जाकर एक्स-रे कराया। मेकाज में मुफ्त सर्जरी की सलाह दी, लेकिन परिवार ने निजी अस्पताल जाना बेहतर समझा।

बच्ची की सफल सर्जरी, प्रशासन ने आर्थिक मदद से भी किया इंकार

Bastar Olympics 2025: शनिवार को निजी अस्पताल में सर्जरी सफल रही। परिवार ने अपने घर में पड़े पुश्तैनी सोने को गिरवी रखकर 50 हजार रुपए जुटाए। परिवार का कहना है कि सोना गिरवी पड़ा, लेकिन बेटी का इलाज समय पर हो गया। इससे बड़ी कोई बात नहीं। परिवार का कहना है कि इसके लिए जिला प्रशासन से मदद मांगी गई लेकिन उन्होंने सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने की बात कहकर मदद करने से इंकार कर दिया।

ललिता के परिवार ने बताया कि बेटी गिरने के बाद उनके पास फोन आया। शुरूआत में गाड़ी लेकर आने कहा गया। इसके लए एक या दो बार नहीं बल्कि पांच से छह बार कॉल किया गया। परिवार ने बताया कि सभी बाहर हैं। झल्लाते हुए जब परिवार वालों ने एंबूलेंस की बात कही तो तब जाकर फोन आना बंद हुआ और आयोजक ही फिर उसे मेकाज लेकर पहुंचे। इसी बीच परिवार भी वहां पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने कहा फ्रैक्चर है, ऑपरेशन कराना पड़ेगा।