जगदलपुर। इससे पूर्व परंपरा के मुताबिक बस्तर संभाग के 84 परगना और सीमावर्ती राज्यों से आए 450 से अधिक देवी देवताओं को इस कुटुंब यात्रा के बाद ससम्मान विदाई दी गई थी। बता दें कि इस साल बस्तर के दशहरे की शुरुआत पाठ यात्रा विधान के साथ 17 जुलाई को हुई थी। अपनी कला व संस्कृति के लिए मशहूर इस 107 दिवसीय दशहरे के दौरान अलग-अलग रस्मों व कार्यक्रमों के विधि-विधान से कराया गया। विधान के मुताबिक इस साल के दशहरे का समापन मंगलवार की सुबह 11 बजे दंतेश्वरी मंदिर से की गई।
जीया डेरा में उत्साह का माहौल रहा
मंदिर के प्रधान पुजारी ने मावली माता की पुजा की, इसके बाद राजकुमार कमलचंद्र भंजदेव ने अपने कंधे में मावली माता की डोली को लेकर विदा किया। सुबह से देर शाम तक दंतेश्वरी मंदिर से लेकर जीया डेरा में उत्साह का माहौल रहा। लोगों ने सड़़को को आकर्षक रंगोली से सजाई थी और लाल कारपेट बिछाया गया था। इस मौके पर दंतेश्वरी मंदिर से प्रगति पथ तक लोगों ने जगह-जगह हर्षोल्लास के साथ विशाल जनसमुदाय में माता मावली को भावभीनी विदाई दी। इस दौरान सड़कों पर भक्तों की भीड़ उमड़ी और लोगों ने मांगा।
पुलिस जवानों ने हर्ष फायरिंग भी की
माता मावली के विदाई रस्म के दौरान पुलिस जवानों ने हर्ष फायरिंग भी की। इस मौके पर बड़ी संख्या में अलग-अलग समाज से लोग माता मावली पर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। बस्तर दशहरे के अंतिम रस्म में राजघराने के सदस्य कमलचंद भंजदेव, मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन, दशहरा कलेक्टर विजय दयाराम, सीईओ प्रकाश सर्वे और प्रशासनिक लोग के साथ शहरवासी मौजूद थे।
माता की विदाई पर लोग हुए भावुक
सबसे लंबे समय तक दशहरे के अंतिम रस्म अदायगी के क्रम में माता मावली की विदाई के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, लोगों के आंखें नम हुई और आंसू भी छलक पड़ी। बस्तरवासीयों ने बड़ी संख्या में मौजूद होकर माता मावली को एक बेटी की तरह विदाई दी। करीब 2 किलोमीटर लंबे इस विदाई यात्रा में श्रद्धालुओं ने माता मावली पर लगातार हर्षोल्लास से पुष्प वर्षा करते रहे।
Published on:
31 Oct 2023 10:29 pm