MP News: शासकीय आयुर्वेद अस्पताल (Government Ayurveda Hospital) में आयुर्वेद और योग के जरिए हर महीने 20 सामान्य प्रसव (Normal Delivery) हो रहे हैं। साल में यह संख्या औसतन 600 से 650 हो जाती है। यहां चिकित्सक गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मंथवार आयुर्वेद घृत पान, काढ़ा, दशमूल, स्वर्णयोग जैसी औषधियां देते हैं। इससे सामान्य प्रसव के लिए अनुकूल स्थिति बनती है। जिन महिलाओं को गर्भधारण में समस्या आती है, उनका भी आयुर्वेद पद्धति से उपचार किया जाता है।
कई महिलाओं को गर्भधारण में समस्या आती है। ऐसे में विशेषज्ञ गर्भधारण के लिए अनुकूल स्थिति बनाने में भी मददगार बन रहे हैं। विशेषज्ञ ऐसे केस में उदरवस्ती, कुछ योग, प्राणायाम, फल घृत, चिंतामणि रस, गर्भपाल रस, स्वर्ण योग जैसी औषधि देते हैं। उपचार और औषधि विशेषज्ञों कीनिगरानी में ही दी जाती हैं।
गर्भधारण के बाद महिला को विशेषज्ञों की निगरानी में कुछ योगासन (Yogasana during Pregnancy) कराए जाते हैं। पहले तीन महीने के बाद गर्भ संस्कार शुरू होते हैं। ध्यान, त्राटक कराया जाता है, ताकि गर्भवती को एंजायटी, बीपी की समस्या ना हो और शिशु स्वस्थ हो। औषधियुक्त भोजन और खीर भी दी जाती है।
गर्भवती के वे केस जिनमें किसी भी प्रकार कि जटिलता होती है या सर्जरी की आवश्यकता होती है, तो उन्हें जिला अस्पताल या मेडिकल रेफर किया जाता है।
गर्भावस्था के दौरान महिला का मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना जरूरी होता है। इस दौरान नियमित रूप से प्राणायाम, ध्यान करने में मन शांत रहता है, जो शिशु और गर्भवती माता दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है।
- डॉ. पंकज मिश्रा, आयुर्वेद विशेषज्ञ, शासकीय आयुर्वेद अस्पताल गौरीघाट, जबलपुर।
Published on:
05 Aug 2025 08:54 am