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नन्हीं उंगलियां तराश रहीं ‘जीवंतता’

ललित कला महाविद्यालय में कार्यशाला से छात्र-छात्राओं में कला के प्रति बढ़ा रुझान

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Little fingers are carving 'liveliness'

चित्रकला, मूर्तिकला और व्यवाहरिक कला का हुनर देकर द्मकलाकारद्य का प्लेटफॉर्म देने वाले शासकीय ललित कला महाविद्यालय में छात्र-छात्राएं नन्हीं अंगुलियों से जीवंत बुत को तराश रहे हैं।

मनोज वर्मा

जबलपुर. चित्रकला, मूर्तिकला और व्यवाहरिक कला का हुनर देकर द्मकलाकारद्य का प्लेटफॉर्म देने वाले शासकीय ललित कला महाविद्यालय में छात्र-छात्राएं नन्हीं अंगुलियों से जीवंत बुत को तराश रहे हैं। कागज-कपड़ा से लेकर मिट्टी के लौंदों से ऐसी मूर्तियां बनाई जा रही है, जिसके लिए उन्हें कार्यशाला में विशेषज्ञों से विशेष सलाह दी है। महाविद्यालय के कला विशेषज्ञ बच्चों की हरसंभव मदद कर रहे हैं।

स्कैचिंग, लैंडस्केप, क्ले मॉडलिंग, मूर्तिकला, आर्टस एंड क्राफ्ट में भविष्य संवार रहे छात्र-छात्राओं का हुनर देखकर अब कला प्रेमियों का रूझान बढ़ रहा है। हुनर लेने के लिए महाविद्यालय में बच्चे आने तैयार हैं। गौरतलब है कि शहर के इकलौते महाविद्यालय में कलाकार बनने के साथ विद्यार्थियों ने देश-विदेश में अपनी धाक जमाई है।

बताई जा रहीं बारीकियां

महाविद्यालय में चित्रकारी, मूर्तिकला आदि की बारीकियां बताई जा रही हैं। हाल ही में भोपाल के वरिष्ठ कलाकार एलएन भावसार ने कार्यशाला के जरिए बच्चों को कला की महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिसके बदौलत वे अपनी कला को निखार सकते हैं।

चित्रकारी के अजूबे प्रयोग बताए

महाविद्यालय के शिक्षक शैलजा सुल्लेरे, डॉ. मनीष कोष्टा, संतोष गौड़, दुर्गेश बिरथरे, संजय प्रजापति, केदार उल्लादी आदि ने बताया कि कार्यशाला में चित्रकारी में वॉटर कलर और आइल कलर के इस्तेमाल के नए तरीके बताए गए हैं। होता यह है कि वॉटर कलर को हल्के से डार्क शेड में ले जाया जाता है। इसी तरह आइल को डार्क से हल्के शेड पर लाया जाता है। विशेषज्ञ में आइल कलर को वॉटर कलर की भांति इस्तेमाल करके विद्यार्थियों को अजूबा प्रयोग बताया है।
विदेश तक पहुंची कला

महाविद्यालय से शिक्षा लेकर विद्यार्थी कला के विविध सेक्टर तक पहुंचे हैं। इनमें से कुछ ने विदेश में भी लोगों को अपनी कला से प्रभावित किया है। बच्चों का हरसंभव कला की बारीकियां बताई जाती हैं।

एचआर अहिरवार, प्राचार्य, शासकीय ललित कला महाविद्यालय






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