GST scam syndicate: आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) द्वारा गिरतार किए गए विनोद कुमार सहाय ने फर्जी फमों के जरिए 34 नहीं बल्कि 130 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी की थी। जांच में इसका खुलासा हुआ। वहीं विनोद द्वारा संचालित की जा रही 23 फर्जी फर्म भी जांच में सामने आई हैं। इन्हीं के जरिए फर्जी इनपुट टैक्स केडिट का खेल खेला गया। (tax evasion)
आरोपी की निशानदेही पर टीम ने उसके घर से 150 से अधिक बैंक खातों और एटीएम समेत विभिन्न विभागों की सीर्ले, नकली ट्रांसपोर्ट रसीदें, जीएसटी बिल बुक, पैन कार्ड, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज भी जांच दल के हाथ लगे हैं। वहीं जांच में 512 करोड़ के बोगस इनवॉइस मिले हैं। ओरापी विनोद पूछताछ के लिए दो जुलाई तक पुलिस रिमांड पर है। आरोपी संगठित रूप से जीएसटी स्कैम सिंडीकेट संचालित कर रहा था। यह रैकेट मध्यप्रदेश के जबलपुर, इंदौर और भोपाल समेत छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक फैला था। जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है, फर्जीवाड़े की परतें खुलती जा रही हैं।
पाटन के टिमरी में रहने वाला विनोद 2000 से यह फर्जीवाड़ा कर रहा है। वह कभी एनके खरे बनकर लोगों से मिलता, तो कभी नीलू सोनकर। विनोद ने 512 करोड़ की बोगस इनवॉइस के जरिए केवल कागजों में व्यापार दर्शाया। उसने फर्जी दस्तावेजों, डमी प्रोपराइटर और डिजिटल पहचान का उपयोग कर मनी लॉन्ड्रिग जैसी आपराधिक गतिविधियों को भी अंजाम दिया। उसने नौ लोगों के नाम से 13 फर्जी फर्म बना रखी थीं।
कर योग्य आपूर्ति दिखाई विनोद ने जीएसटी पोर्टल पर उक्त कंपनियों से कर योग्य आपूर्ति (आउटवर्ड सप्लाई) के रूप में दिखाया जो 500 करोड़ से अधिक है। इसमें अधिकांश फर्जी कंपनियों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट पास किया गया, जिससे शासन को करोड़ों के कर का नुकसान हुआ।
टीम ने 512 करोड़ की इनवॉइस वैल्यू की भौतिक जांच की। जिसमें सामने आया, स्टॉक, गोदाम, माल ढुलाई, परिवहन दस्तावेज या बैंकिंग आधार नहीं मिला। इन लेनदेन में प्रयुक्त कंपनियां नर्मदा ट्रेडर्स, नमामि ट्रेडर्स, अभिजीत ट्रेडर्स, मां रेवा ट्रेडर्स, अंकिता स्टील एंड कोल, जगदंबा कोल केरियर्स, महक इंटरप्राइजेज, केडी सेल्स कॉपंरिशन, कोराज टेक्निक, महामाया ट्रेडर्स समेत अन्य का संचालन विनोद सहाय स्वयं करता था।
Published on:
01 Jul 2025 12:30 pm