Datt Mandir : शहर के गोलबाजार स्थित दत्त मंदिर के संचालक दत्त भजन मण्डल की स्थापना को एक मई को 93 वर्ष पूरे हो गए। मंडल के सदस्यों ने यहां उस दौर में वन्देमातरम का गायन शुरू किया था, जब वन्देमातरम की आवाज सुनाई देने पर भी अंग्रेज गोली मार देते थे। तब से प्रतिदिन इसका क्रम जारी है। मंदिर में वन्देमातरम गायन की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी। यह बात सुनकर वीर सावरकर भी यहां आए थे। अंग्रेजों के जमाने से वर्तमानकाल तक यह मंदिर संस्कारधानी के लोगों को एकसूत्र में पिरोने का बड़ा जरिया बना हुआ है।
मंदिर मराठी समाज के साथ अन्य लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। साल भर धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक आयोजन होते रहते हैं। दत्त भजन मंडल संस्था की स्थापना एक मई 1932 में गुरु दत्तात्रेय की उपासना के साथ साथ तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध जनजागृति के उद्देश्य से की गई थी। दत्त जयंती पर संस्था द्वारा मंदिर में वार्षिक भव्य उत्सव आयोजित किया जाता है। यहां तांत्रिक यंत्र पर भगवान दत्तात्रेय विराजित हैं। प्रति गुरुवार को महाआरती, भजन के साथ शाश्वत पूजा, रुद्राभिषेक आदि धार्मिक कार्य आयोजित किए जाते हैं। रात को पूजन आरती के बाद प्रतिदिन यहां वन्देमातरम का गायन भी हो आ रहा है।
मंडल के अध्यक्ष विजय भावे ने बताया कि पांडुरंग फाटक, स. ल. परांजपे, कृ.प. दाभोलकर, विनायक श्रीधर देसाई वैद्य संस्था के मुख्य पुरोधा थे। बाद में गोलबाजार में मंदिर के लिए जमीन खरीदी गई। वर्ष 1956 में दत्त भगवान की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। यह मनोहर प्रतिमा जयपुर से लाई गई थी।
मंडल की उत्सव प्रभारी चित्रा ताम्हणकर ने बताया कि यहां जुलाई में भगवान दत्तात्रेय की शैलगमन यात्रा, गुरु पूर्णिमा के आयोजन होते हैं। दत्त जयंती सप्ताह में धार्मिक आयोजन होते हैं। नवरात्र की अष्टमी पर महालक्ष्मी पूजन होता है। इसके अलावा सत्य दत्त पूजन, पादुका पूजन, महासंक्रमण व्याख्यान माला व हर माह के पहले रविवार को भक्तिमाला का आयोजन होता है। आषाढ़ में भगवान विट्ठलनाथ व दत्तात्रेय की विशेष पूजा होती हैं। उन्होंने बताया कि दत्त भजन मंडल की प्रसिद्धि सुनकर वर्ष 1939 में वीर सावरकर यहां आए थे।
Updated on:
02 May 2025 12:15 pm
Published on:
02 May 2025 12:14 pm