childhood life : अब गर्मी की छुट्टी आई। बच्चों ने मांग दोहराई- मम्मी अब तो देर तक सोने दो। बाकी दिन तो सुबह से उठ जाता हूं। गर्मी की छुट्टियों में तो बचपन जीने दो। हर बच्चे के मन में ये भाव है। दरअसल स्कूल की छुट्टियां शुरू होने से पहले ही पेरेंट्स ने बच्चों की एक्सट्रा-करिकुलर एक्टीविटीज का टाइम टेबल बनाना शुरू कर दिया है। कोई बच्चे को समर कैप में भेजने वाला है तो किसी ने क्रिकेट एकेडमी, स्वीमिंग सेंटर, युजिक सेंटर या अन्य सेंटर भेजने की तैयारी कर ली है। यहां तक कि अधिकांश घरों में तो अगली कक्षा की कोचिंग भेजने की तैयारी भी कर ली गई है। मनोवैज्ञानिक इस नए ट्रेंड के प्रति अभिभावकों को सावधान कर रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि कई घरों में अभिभावक सिर्फ इसलिए ही बच्चों को व्यस्त रखना चाहती है कि दिनभर उनकी शैतानी बर्दाश्त नहीं करना पड़े। इस टें्ड का बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। जब बच्चे घर में मस्ती, शैतानी नहीं कर पाते तो वे इसे बाहर तलाशते हैं, जिससे बच्चों और अभिभावकों के बीच दूरी बढ़ती है।
साल भर बच्चों स्कूली दिनचर्या में व्यस्त रहते हैं तो वहीं अभिभावक अपने कामकाम में। ऐसे में गर्मी की छुट्टियों का उपयोग पेरेंट्स को बच्चों को समझने और उनसे बेहतर बांडिंग के लिए करना चाहिए। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चों भावनात्मक लगाव तलाशते हैं। इसके लिए गर्मी की छुट्टियां अभिभावकों के लिए सबसे बेहतर समय है। बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करना चाहिए।
● एक्सट्रा करिकुलर एक्टीविटीज में अपनी रुचि नहीं थोपें।
● ब‘चों के मित्र बनें। बचपन खुलकर जीने में उनके सहभागी बनें।
● छुट्टियों में उन्हें घूमने रिश्तेदारों के यहां ले जाएं, या मेहमानों को घर बुलाएं
● उनके साथ पार्क, मैदान अथवा साइकिलिंग पर जाएं।
● नए हमउम्र बच्चों से दोस्ती के लिए प्रोत्साहित करें।
childhood life : बच्चों के मानसिक व शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है कि उन्हें छुट्टियों का लुत्फ खुलकर उठाने दें। वे बचपन को जी सकें, जो वे रेगुलर स्कूल के दिनों में नहीं कर पाते। गर्मी की छुट्टियों के मायने पढ़ाई के स्ट्रेस से विराम देना भी है।
childhood life : स्कूल के दौरान 5-6 घंटे फिर कोचिंग में एक से दो घंटे फिर होमवर्क में बच्चों का साल निकल जाता है। छुट्टियों के दौरान भी कोचिंग और समर क्लासेस भेजना उनके बचपन को छीनने जैसा है।
Published on:
29 Apr 2025 11:49 am