Bone marrow transplant : ब्लड कैंसर, एप्लास्टिक एनीमिया, थैलेसीमिया और इयून डेफिशियेंसी डिजीज से पीड़ित बच्चों के लिए उमीद की एक नई किरण जगी है। मेडिकल अस्पताल में 25 से ज्यादा ऐसे बच्चों की पहचान की गई है, जिनके बोनमैरो ट्रांसप्लांट से उनकी जान बचाई जा सकती है। इन बच्चों में से कुछ के बोनमैरो उनके भाई-बहन से मैच हो रहे हैं, जिससे ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। अस्पताल में सिकलसेल एनीमिया के 800 और थैलेसीमिया के 450 बच्चों का इलाज चल रहा है। इनमें से 100 से ज्यादा बच्चों को बोनमैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत है, लेकिन उनके लिए डोनर नहीं मिल रहे हैं।
डॉक्टरों के अनुसार, सिकलसेल एनीमिया और थैलेसीमिया दोनों ही रक्त संबंधी गंभीर बीमारियां हैं, जिनमें बच्चों को असहनीय दर्द और पीड़ा सहनी पड़ती है। सिकलसेल एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाएं असामान्य आकार की हो जाती हैं, जिससे बच्चों को दर्द, थकान और संक्रमण का खतरा रहता है। वहीं, थैलेसीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और बच्चों को थकान, कमजोरी और हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं।
●उनकी सामान्य स्थिति का पता लगाया जाता है
●बच्चे के रक्त प्रकार, गुणवत्ता और अन्य रक्त संबंधी समस्याओं का पता लगाया जाता है
●इयूनोलॉजिकल परीक्षण में उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाया जाता है
●एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) परीक्षण में बच्चे के एचएलए प्रकार का परीक्षण किया जाता है, जो बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी है
●बच्चे के रक्त का क्रॉस-मैचिंग परीक्षण किया जाता है, जो बोनमैरो ट्रांसप्लांट के लिए उपयुक्त दाता का चयन करने में मदद करता है।
●800 बच्चे सिकलसेल एनीमिया का इलाज करा रहे हैं मेडिकल में
●450 बच्चे थैलेसीमिया का इलाज करा रहे हैं
यह पहल गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बच्चों और उनके परिवारों के लिए उमीद की किरण बनकर आई है। अगर समय पर सही डोनर मिल जाए तो सैकड़ों बच्चों को नई जिंदगी मिल सकती है।
●120 सिकलसेल एनीमिया पीड़ित
●100 बच्चे थैलेसीमिया पीड़ित
Bone marrow transplant : ब्लड कैंसर व हाई रिस्क एप्लास्टिक एनीमिया पीड़ित बच्चों का चयन बोनमेरो ट्रांसप्लांट के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे भी आ रहे हैं।
Updated on:
29 Mar 2025 03:48 pm
Published on:
29 Mar 2025 12:56 pm