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Bhoj Open University में प्रोफेसर सहित अन्य नियुक्तियां हाईकोर्ट ने कीं निरस्त, फिर से होगी भर्ती प्रक्रिया

Bhoj Open University : मप्र हाईकोर्ट ने भोज मुक्त विश्वविद्यालय में 2015 में प्रोफेसर सहित कई अन्य पदों के लिए की गई नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश पारित किया है।

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MP HIGH COURT

Bhoj Open University : मप्र हाईकोर्ट ने भोज मुक्त विश्वविद्यालय में 2015 में प्रोफेसर सहित कई अन्य पदों के लिए की गई नियुक्ति को निरस्त करने का आदेश पारित किया है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी में कहा कि मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल में प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर सहित अन्य पदों पर हुई नियुक्तियां मनमानी व दोषपूर्ण हैं। सिंगल बेंच के आदेश को पलटते हुए डिवीजन बेंच ने इन नियुक्तियों को निरस्त कर नए सिरे से विज्ञापन जारी कर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश दिए।

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Bhoj Open University : चयन समिति में विशेषज्ञों को नहीं किया शामिल

दरअसल, मध्य प्रदेश शासन तथा मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल की ओर से एकलपीठ के उस आदेश केा चुनौती दी गई थी। जिसमें जांच उपरांत फर्जी तरीके से निरस्त की गई नियुक्तियों को विश्वविद्यालय जांच समिति की सिफारिश पर निरस्त करने के निर्णय को खारिज कर दिया गया था। डिवीजन बेंच के समक्ष अपील की सुनवाई में बताया गया था कि वर्ष 2015 में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर सहित अन्य पदों के लिए रिक्तियां निकाली गई थीं। चयन प्रक्रिया के दौरान चयन समिति में संबंधित विषय के विशेषज्ञों को शामिल नहीं किया गया था।


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Bhoj Open University : नजरअंदाज कर पक्षपात किया गया

कुछ विषयों के चयन के लिए, अन्य विषय विशेषज्ञों को बुलाया गया था, जो अवैध था। चयन समिति ने यूजीसी द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं किया है। समिति ने प्रत्येक आवेदक के शैक्षणिक अभिलेखों की बारीकी से जांच और छानबीन नहीं की थी। समिति द्वारा अंकों के कुछ कालम बिना किसी स्पष्टीकरण के रिक्त छोड़ दिए गए थे। अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में सर्वोच्च अंक देकर अन्य योग्य अभ्यर्थियों जिनका शैक्षणिक रिकार्ड बेहतर था को नजरअंदाज कर पक्षपात किया गया था।


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Bhoj Open University : आरक्षण नियमों का भी पालन नहीं

भोज विवि की अपील में कहा गया था कि विज्ञापन में महिलाओं एवं दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कोई आरक्षण नहीं रखा गया था। आरक्षण रोस्टर भी उच्च शिक्षा विभाग मप्र शासन द्वारा दिए गए निर्देशानुसार तैयार नहीं किया गया था। अनियमितता के कारण चयन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया था। जिसके विरुद्ध चयनित अभ्यर्थियों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसकी सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने उनके पक्ष में राहतकारी आदेश जारी किए थे। जिसके विरुद्ध उक्त अपील दायर की गई है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि चयन प्रक्रिया अत्यधिक प्रदूषित थी। ऐसी स्थिति में चयनित लोगों को नियुक्ति प्रदान करने से इनकार किया जाना कोई गलत नहीं होगा। डिवीजन बेंच ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त करते हुए नियुक्ति के लिए नए सिरे से विज्ञापन जारी करने के आदेश जारी किए हैं।