नई दिल्ली। चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने राजस्थान को बड़ा झटका दिया है। जल्द ही राज्य में बिजली महंगी होने जा रही है। इसका कारण यह है कि राजस्थान में बड़ी मात्रा में बिजली की आपूर्ति गुजरात के कोयला से संचालित पावर स्टेशनों से होती है। गुजरात की भाजपा सरकार ने वहां पावर स्टेशनों का संचालन करने वाली टाटा, अडानी और एस्सार पावर कंपनियों को बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने की छूट दे दी है।
इसलिए बढ़ा संकट
गुजरात के पावर स्टेशनों के सामने यह संकट आयातित कोयले के महंगा होने के कारण पैदा हुआ है। गुजरात के अधिकांश पावर स्टेशन इंडोनेशिया से कोयला आयात करते हैं। इंडोनेशिया की सरकार ने वहां से निर्यात होने वाले कोयले की कीमतों में इजाफा कर दिया है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे कोयले की कीमतों में लगातार गिरावट के बाद इंडोनेशिया में खदानों के ठप पड़ने का संकट पैदा हो गया था। इससे बचने के लिए इंडोनेशिया की सरकार ने 2010 में कोल माइनिंग और प्राइसिंग फॉर्मूले में बदलाव कर दिया था। अब इसी बदलाव की वजह से इंडोनेशिया से भारत आयात होने वाला कच्चा कोयला लगातार महंगा होता जा रहा है।
इंडोनेशिया के भरोसे लगाए गए थे पावर स्टेशन
2010 से पहले तक इंडोनेशिया से आयात होने वाला कच्चा कोयला काफी सस्ता होता था। इसी आधार पर टाटा, अडानी और एस्सार ने गुजरात में पावर स्टेशनों की स्थापना की थी। लेकिन 2010 में प्राइसिंग फॉर्मूले में बदलाव के बाद वहां से आयात होने वाला कोयला लगातार महंगा होता जा रहा है। इससे पावर कंपनियों के सामने संकट बना हुआ है। कंपनियों की गुहार के बाद जुलाई में गुजरात सरकार ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने इंडोनेशिया के हालातों का हवाला देते हुए तीनों कंपनियों को बिजली की दरें बढ़ाने की छूट देने की सिफारिश की थी।
इन राज्यों पर भी पड़ेगा असर
गुजरात सरकार की ओर से निजी क्षेत्र के पावर स्टेशनों को बिजली की दरें बढ़ाने की छूट देने के बाद कई राज्यों पर असर पड़ेगा। इस छूट के बाद सबसे ज्यादा असर गुजरात पर ही पड़ेगा। इसके बाद महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा। इसका कारण यह है कि यह सभी राज्य अपनी आपूर्ति के लिए गुजरात के इन पावर स्टेशनों से बिजली खरीदते हैं। आपको बता दें कि गुजरात में स्थित टाटा, अडानी और एस्सार पावर के तीनों स्टेशनों की झमता 10000 मेगावाट की है।
एसबीआई भी कर चुकी है वकालत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन तीनों कंपनियों के पावर प्रोजेक्ट्स में देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का पैसा लगा है। गुजरात सरकार की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति ने एसबीआई से भी बातचीत की थी। तब एसबीआई ने कहा था कि ये पावर स्टेशन घाटे में चल रहे हैं। यदि यही स्थिति रहती है तो यह पावर स्टेशन नॉन परफॉर्मिंग प्लाट की कगार पर पहुंच सकते हैं। एेसे में उसका निवेश भी डूब सकता है।
Updated on:
06 Dec 2018 08:29 am
Published on:
05 Dec 2018 09:05 pm