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‘नगर सरकार’ के तीन साल, शहर के विकास पर पत्रिका ऑफिस में घमासान

Indore News: इंदौर नगर सरकार यानी महापौर पुष्यमित्र भार्गव के नेतृत्व वाली नगर निगम परिषद के कार्यकाल को तीन वर्ष मंगलवार को पूरे हो गए। पत्रिका दफ्तर में आयोजित संवाद में महापौर पुष्यमित्र भार्गव और नगर निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे आमने-सामने हुए।

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patrika samvad (फोटो सोर्स : पत्रिका)

Indore News:इंदौर नगर सरकार यानी महापौर पुष्यमित्र भार्गव(Mayor Pushyamitra Bhargava) के नेतृत्व वाली नगर निगम परिषद के कार्यकाल को तीन वर्ष मंगलवार को पूरे हो गए। पत्रिका दफ्तर में आयोजित संवाद में महापौर पुष्यमित्र भार्गव और नगर निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे आमने-सामने हुए। तीन वर्ष के लेखे-जोखे पर शहर के प्रबुद्धजनों ने भी सवाल उठाए और सुझाव दिए। विकास कार्यों की जानकारी देते हुए भार्गव ने कहा, तीन साल में वे काम भी कर दिखाए जो 40 साल से पेंडिंग पड़े थे। 1500 किमी की सड़क बनी है। चौकसे ने पलटवार कर कहा, शहर में सड़क कम और गड्‌ढे ज्यादा है। बारिश होते ही चारों तरफ जलजमाव हो रहा है, ट्रैफिक बदहाल है। पत्रिका ने पथ (सड़क), पैसे (आर्थिक स्थिति) और फैसले, इन तीन विषय पर विचारोत्तेजक संवाद रखा था।

पहला मुद्दा 'पथ'

पत्रिका : (पत्रिका(Patrika) में प्रकाशित चित्र और खबर दिखाते हुए) इंदौर की राह ऐसी क्यों? खराब सड़कें, गड्ढे, जलभराव और ट्रैफिक जाम। इनसे आखिर मुक्ति कब मिलेगी?

महापौर भार्गव ने कही ये बात

ट्रैफिक, सड़क और जलभराव की ये समस्याएं पिछले तीन या पांच साल में पैदा हुई हो, ऐसा नहीं है। मेरे कार्यकाल में करीब 1500 किमी सड़क बना चुके हैं। शहर में 325 किमी सड़क डामर की है। डामर के साथ चुनौती है कि बारिश में गड्ढे हो जाते हैं। अभी जो सड़कें बची हैं, उन्हें हम दूसरे चरण में बनाएंगे, ये हमारा लक्ष्य है। भार्गव ने आगे कहा, 2022 से अब तक जल भराव वाले 60त्न स्थानों में कमी आई है। दुनिया का ऐसा कोई शहर नहीं है, जहां जलभराव नहीं होता है। वो पानी कितनी देर में ड्रेन आउट होता है, यह जरूरी है। बारिश के अगले दिन तक पानी जमा है तो इसके लिए हम जिमेदार हैं।

भार्गव ने कहा, बिगड़ता ट्रैफिक हम सबके लिए चुनौती है। राजनीति या सरकार से ऊपर उठकर नहीं सोचा तो यह समस्या बढ़ती ही जाएगी। 2011 से अब तक शहर की जनसंया दोगुनी (लगभग 40 लाख) हो गई है। शहर में रजिस्टर्ड वाहन 32 लाख से अधिक हैं। 21 लाख वाहन सड़कों पर रोज रहते हैं। ट्रैफिक जनता और जनप्रतिनिधियों के व्यवहार से बदलेगा। जैसे पत्रिका में कावड़ यात्रा की जाम की खबर है, तो हम सबको निर्णय करना होगा कि सभी यात्रा, जलसे और जुलूस के लिए मार्ग तय हो।

नेता प्रतिपक्ष

नेता प्रतिपक्ष: पूरे शहर में सड़कें कम और गड्ढे ज्यादा हैं। मेरे वार्ड में ही तीन सालों में सड़क नहीं बन पाई है। उसकी गुणवत्ता खराब है। जनकार्य प्रभारी और मैं शिकायत कर चुके हैं। मधुमिलन और विजय नगर चौराहे के हालात पर लोग हमारी तरफ देखते हैं। 8 अगस्त को पहली बैठक में महापौर ने यातायात को लेकर संकल्प लिया था, लेकिन अभी हर जगह अव्यवस्था है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में नाला टेपिंग की गई। दुर्भाग्य है, नाला टेपिंग करने से पहले सोचा नहीं। शहर में स्टॉर्म वाटर की 15त्न लाइन है। नाला टेपिंग सफल नहीं हुई,ये सबसे बड़ी विसंगति है। 1-2 इंच में ही ये हाल है, 4-5 इंच बारिश हुई तो नाव चलानी पड़ेगी।

दूसरा मुद्दा 'पैसा'

पत्रिका: आर्थिक मोर्चे पर तीन साल में हम कहां पहुंचे हैं? आगे कहां जाएंगे?

महापौर: जब मैं 2022 में महापौर बना था तब 2014 से 2022 तक ठेकेदारों के करीब 900 करोड़ बाकी थे। निगम का एक घर में पानी पर 10000 रुपए खर्च है, लेकिन 200 रुपए महीना लेता था, हमने 100 रुपए बढ़ाकर 300 रुपए किए हैं। प्रति घर 700 रुपए तो सरकार वहन कर रही है। मैंने घोषणा की थी कि 2024 की मार्च के अंत तक 2022 तक का कर्जा उतार देंगे और 22 तक के हमने सारे कर्जे उतार दिए हैं। बीते वित्तीय वर्ष में एक हजार करोड़ का राजस्व वसूला। निगम आत्मनिर्भर है। तीन वर्षों में 100 बीघा लैंड बैंक बढ़ाई है। हर महीने 1 तारीख को कर्मचारियों को उनका वेतन मिल रहा है।

पत्रिका: निगम में होने वाले घोटाले कब रुकेंगे?

महापौर: हमारी जिमेदारी है कि घोटाले न हों और अगर हुए हैं तो उजागर करें। कौन हिमत करेगा कि अपने कार्यकाल में घोटाला उजागर करे, हमने किया। जो शामिल थे, वे जेल में हैं। आगे भी होगा, जेल जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष: 2019 में कांग्रेस की सरकार के वक्त ठेकेदारों का जनरल पेमेंट हुआ था। पप्पू भाटिया (ठेकेदार) ने आत्महत्या की, उनका बड़ा भुगतान बकाया था। 1200 करोड़ के कर्जे में निगम है। ये कैसे आत्मनिर्भर नगर निगम हो गया।

महापौर: हमारी आर्थिक स्थिति का आकलन हमसे ज्यादा दुनिया की एजेंसी कर रही है। दुनिया और देश इंदौर को किस दृष्टि से देख रहे हैं, यह आवश्यक है। कई बड़ी एजेंसी इंदौर को आर्थिक मदद करने को आतुर है। हम मदद मांगने नहीं गए, वो खुद करना चाह रहे थे।

तीसरा मुद्दा 'फैसले'

पत्रिका: 3 साल में लिए फैसलों पर अमल कितना? कितने कारगर? आगे क्या?

महापौर: तीन सालों में हमने कई अहम फैसले किए। हुकमचंद मिल की जमीन की समस्या, धोबीघाट की जमीन पर निगम का मालिकाना हक, तिलक नगर की रोड 25 वर्षों से रुकी थी, साकेत की रोड 40 वर्षों से रुकी थी, वो अंतिम चरण में है। चंदन नगर से एयरपोर्ट रोड का काम बारिश के बाद शुरू हो जाएगा। ये काम 40 वर्षों से रुके थे। हमारी गोशाला आज प्रदेश की सबसे अच्छी गोशाला है। 100 मेगावाट की बिजली हम खुद पैदा कर रहे हैं। नर्मदा का चौथा चरण 15 दिनों में शुरू हो जाएगा। ये सभी काम असंभव थे, लेकिन हमने फैसले लिए और काम हुए। मैंने 2050 के परिणाम देखकर काम किए।

नेता प्रतिपक्ष: हरदा में पटाखा कांड हुआ, सराफा को लेकर कमेटी बनी, लेकिन आज तक फैसला नहीं हुआ। कांग्रेस सरकार के वक्त रेसीडेंसी में तत्कालीन मंत्री तुलसी सिलावट के निगम ने पोस्टर हटाए थे, लेकिन इन दिनों पोस्टर पर निगम फेल है, काम नहीं हो पा रहे हैं।

महापौर: होर्डिंग बैनर पोस्टर पर हमारी पॉलिसी जीरो टॉलरेंस की है।

शहर के प्रबुद्धजनों ने दिए अहम सुझाव

जाम लगने के कारण वायु प्रदूषण की वृद्धि होती है, आर्थिक रूप से असर पड़ता है। शहर की जनसंया 30 लाख से अधिक है और इतने ही वाहन हैं, जबकि पौधे सिर्फ दस लाख ही हैं। -ओपी जोशी, समाजसेवी

प्लानिंग से काम किए जाएं। सड़क व लाइन का डिजिटल रिकॉर्ड हो। फुटपाथ पर अतिक्रमण को लेकर अभियान चलाया जाए। पुलिस व निगम मुहिम चलनी चाहिए। -रामेश्वर गुप्ता, समाजसेवी

शहर में ट्रैफिक की समस्या को सुलझाने के लिए जागरुकता लाना बहुत जरूरी है। बड़े से बड़े लोग सड़क पर शार्टकट और रॉन्ग साइड आते-जाते रहते हैं। -एसएल गर्ग, समाजसेवी

नगर निगम ऐसा एप तैयार करे, जिसमें पता चले कि आज कहां से जुलूस निकलेगा, कहां-कहां सड़क बन रही है और कहां पर खुदाई की गई है। इससे सभी को फायदा होगा।-मनीषा डग, समाजसेवी

ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए जनजागृति आवश्यक है। जनता नियमों का पालन करे तो जाम की समस्या ही न हो। दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।-डॉ. दिलीप बाघेला, विशेष सदस्य जिला सड़क सुरक्षा समिति

ट्रैफिक सुधार के लिए जन जागरण और सामूहिक निर्णय की आवश्यकता है। ट्रैफिक खराब होने के लिए सबसे ज्यादा अहम अतिक्रमण ही है। इस पर कार्रवाई के लिए स्थायी नीति हो। आर्थिक मुद्दे को देखें तो निगम कभी भी प्रॉफिट में नहीं हो सकता। राज्य या केंद्र सरकार की मदद से ही चल सकता है। जगमोहन जब शहरी विकास मंत्री थे तब इंदौर आए थे। राज्य के माध्यम से सपोर्ट के लिए जेएनयूआरएम योजना आई थी। - अतुल सेठ, आर्किटेक्ट