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Thomson: महज 35 मिनट बनती है एक मेड-इन-इंडिया वॉशिंग मशीन, क्वालिटी के साथ नहीं कोई समझौता

क्या कभी आपने सोच है कि मिनटों में आपके कपड़ो की सफाई करने वाली ये वॉशिंग मशीन आखिर कैसे बनती है, किन-किन प्रोसेस से होकर यह गुजरती है ? यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे महज 35 मिनट में एक सेमी-ऑटोमैटिक वॉशिंग मशीन बनकर तैयार हो जाती है।    

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Thomson washing machine factory


Washing Machine: अब छोटे शहरों से लेकर मेट्रो सिटीज़ में हर घर में सेमी और फुली ऑटोमैटिक वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल होने लगा है। बाजार में कई ब्रांड्स हैं जो उस सेगमेंट में काम कर रहे हैं। हर बजट और जरूरत के हिसाब से आपको मॉडल मिल जायेंगे। लेकीन क्या कभी आपने सोच है कि मिनटों में आपके कपड़ो की सफाई करने वाली ये वॉशिंग मशीन आखिर कैसे बनती है, किन-किन प्रोसेस से होकर यह गुजरती है ? यही समझने के लिए हम पहुंचे थॉमसन की नॉएडा फैक्ट्री में। यहां हम यह जाना कि आखिर एक सेमी-ऑटोमैटिक वॉशिंग मशीन कैसे बनाई जाती है।

वॉशिंग मशीन बनाने की प्रक्रिया

जानकारी के लिए आपको बता दें कि एक वॉशिंग मशीन बनाने की प्रक्रिया 4 स्टेप्स में पूरी होती है, जिसमें बॉडी पार्ट्स बनाना, उसके बाद पार्ट्स को असेंबल करना, इलेक्ट्रॉनिक फिटिंग और लीकेज की टेस्टिंग और अंत में पैकेजिंग शामिल है। आपको बता दें कि महज 128 सेकंड में वॉशिंग मशीन का फ्रेम बनाता है।


मशीन के अधिकतम पार्ट्स फैक्ट्री में ही बनाये जाते हैं, साथ ही मोल्डिंग का काम भी काम यहीं होता है। इस प्रोसेस में प्लास्टिक के बहुत ही छोटे-छोटे टुकड़ों को मशीन में पिघलाकर बेस बॉडी में ढाला जाता है। एक वॉशिंग मशीन कुल 158 भागों से बनी होती है। पार्ट्स बनाने के बाद फिर असेंबलिंग का काम होना है, वैसे असेंबलिंग कई हिस्सों में की जाती है। यहां अलग-अलग लोग मशीन के वॉशर को फिट करने से लेकर वायरिंग जोड़ने और अन्य कामों को किया जाता है।

हर सेमी-ऑटोमैटिक मशीन में कुल दो मोटर दी जाती हैं, जिसमें एक मोटर कपड़े धोने और घुमाने के लिए है जबकि दूसरी मोटर कपड़े सुखाने के लिए (ड्रायर) है। एक मशीन को बनाने में 158 हिस्से हैं, जिन्हें असेंबल किया गया है।


लीकेज की भी जांच

थॉमसन अपनी हर वॉशिंग मशीन को बहुत ही सावधानी से टेस्ट करती है, करंट टेस्ट से लेकर लीकेज तक की जांच बहुत ही सावधानी से की जाती है। मशीने के नीचे की बॉडी को एक लाइट के जरिये भी चेक किया जाता है ताकि कोई छेद है तो पता चल जाए। इसके बाद दूसरी टेस्टिंग मशीन असेंबल होने के बाद होती है। यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही होती है जैसे मशीन को घर में रखा जाता है।



मशीन में पानी डालने पर लीकेज देखा जाता है। इतना ही नहीं, इसमें 100 ग्राम कपड़ा धोने के बाद टेस्टिंग भी की जाती है। जब सब कुछ ठीक रहता है तो मशीन के अन्दर बचे पानी को वैक्यूम क्लीनर की मदद से सुखाया जाता है। इसके बाद मशीन को आगे के परीक्षण के लिए भेजा जाता है।


ये सभी काम मशीनों के जरिये किये जाते हैं। सेफ्टी का यहां पूरा ध्यान रखा जाता है। मशीन बनाने से लेकर पैकिंग तक का यह सफ़र वाकई दिलचस्प है। आपको बता दें कि कंपनी अपनी वॉशिंग मशीन हाई क्वालिटी मैटीरियल का इस्तेमाल करती है, जिसे मॉडल की लाइफ सालों-सालों होती है । इन मशीन की कीमत 7490 रुपये से शुरू होती है ।