Mood Swing Symptoms: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में भावनात्मक अस्थिरता यानी मूड स्विंग एक गंभीर लेकिन अक्सर नजरअंदाज की जाने वाली समस्या बन चुकी है। चाहे आज का युवा हो, या उम्रदराज लोग या महिलाएं लगभग हर उम्र के लोग कभी न कभी मूड के अचानक बदलने का अनुभव करते हैं। हालांकि यह किसी बीमारी का संकेत नहीं होता, लेकिन कुछ हार्मोनल कारणों, जैसे शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों, नींद की कमी, या यहां तक कि अनहेल्दी लाइफस्टाइल का भी नतीजा हो सकता है। यदि यह समस्या लगातार बनी रहे और आपके काम, रिश्तों या खुद पर प्रभाव डालने लगे, तो यह सामान्य नहीं है। इसे हल्के में लेना आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। आइए जानें विस्तार से मूड स्विंग के पीछे छिपे कारण, इससे जुड़े लक्षण और कुछ कारगर बचाव के तरीके।
-मूड स्विंग्स यानी भावनाओं का तेजी से बदलना।
-कभी-कभी मूड स्विंग काफी ज्यादा होते हैं और इसके कई कारण हो सकते हैं।
-कभी आप सामान्य होते हैं, लेकिन कुछ ही मिनटों में चिड़चिड़ापन, निराशा या अत्यधिक उत्साह का अनुभव करने लगते हैं।
-यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह आपके सोचने, महसूस करने और निर्णय लेने की क्षमता पर असर डालने लगे।
-इसके पीछे अक्सर दिमाग में मौजूद Neurotransmitters नामक रासायनिक तत्वों का असंतुलन जिम्मेदार होता है, जो मूड को स्थिर बनाए रखते हैं।
किशोरावस्था (Adolescence)
इस समय शरीर में तेज हार्मोनल बदलाव होते हैं। इससे व्यक्ति का मूड बार-बार बदलता है, जो सामान्य प्रक्रिया है लेकिन कई बार असहज बन सकती है।
गर्भावस्था और प्रसव के बाद
थकान, हार्मोन में गिरावट और नींद की कमी इस समय आम होती है, जो महिलाओं को भावनात्मक रूप से अस्थिर बना सकती है।
मेनोपॉज
इस समय एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन्स का स्तर घटता-बढ़ता है, जिससे मूड पर गहरा असर पड़ता है।
दैनिक कारण
नींद की कमी, भूख लगना, काम का तनाव, रिश्तों में अनबन या अचानक मिलने वाली कोई खबर भी मूड स्विंग का कारण बन सकती है।
-डिप्रेशन या एंग्जायटी
-बाइपोलर डिसऑर्डर
-अल्जाइमर या डिमेंशिया
-ईटिंग डिसऑर्डर
-पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)
-ध्यान की कमी (ADHD)
--थायरॉइड संबंधी समस्याएं
-ब्रेन ट्यूमर या सिर पर चोट
-हर समय थका-थका महसूस करना
-बिना वजह चिड़चिड़ापन या उदासी
-नींद कम आना या बिल्कुल न आना
-अत्यधिक भूख लगना या भूख न लगना
-फैसले लेने में कठिनाई
-आत्मविश्वास में कमी
-चीजों को भूलना या ध्यान न लग पाना
-मन का बार-बार बदलना
-छोटी-छोटी बातों पर अत्यधिक प्रतिक्रिया देना
-हर दिन कम से कम 7–8 घंटे की नींद लें।
-योग, ध्यान या तेज चलना मूड को स्थिर रखने में मदद करता है।
-ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं।
-मोबाइल और सोशल मीडिया से थोड़ा ब्रेक लें, दिमाग को राहत मिलेगी।
-रोजाना अपनी भावनाएं लिखें, इससे आपको खुद को समझने में मदद मिलेगी।
-अगर मूड स्विंग आपकी दिनचर्या पर असर डाल रहा है, तो साइकोलॉजिस्ट या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Published on:
02 Aug 2025 10:52 am