7 Mistakes Damage Knees : हर साल 4 अगस्त को नेशनल बोन एंड जॉइंट डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को हड्डियों और जोड़ों की सेहत के प्रति जागरूक करना है। आज के डिजिटल जमाने में सबसे ज्यादा खतरा उन्हीं लोगों को है जो पूरे दिन लैपटॉप या कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं। अगर आप भी सुबह से शाम तक ऑफिस चेयर पर जमे रहते हैं तो ये आदत धीरे-धीरे आपकी पीठ, गर्दन और घुटनों को नुकसान पहुंचा रही है।
जयपुर के सीनियर कंसल्टेंट-आर्थ्रोप्लास्टी एंड आर्थ्रोस्कोपी डॉ. अमित मीणा बताते हैं कि आजकल 25-40 साल के युवाओं में भी पीठ दर्द, गर्दन की अकड़न और जल्दी घुटनों में दर्द की शिकायतें आम हो गई हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है अधिक देर तक एक हे जगह बैठे रहन । ऑफिस हो या वर्क फ्रॉम होम, दिनभर बिना हिले-डुले बैठना शरीर में जॉइंट स्टिफनेस और मसल्स वीकनेस पैदा करता है।
लंबे समय तक बैठने से मसल्स और जॉइंट्स सख्त हो जाते हैं।
झुककर, गर्दन आगे निकालकर या पीठ गोल करके बैठना रीढ़ और घुटनों पर दबाव डालता है।
सिर्फ बैठकर काम करना घातक है।
एसी ऑफिस में धूप न मिलने से विटामिन D डिफिशियेंसी हो जाती है जिससे हड्डियां कमजोर होती हैं।
लंबे समय तक हाई हील्स या टाइट जूते पहनना घुटनों पर असर डालता है।
दिनभर की थकान के बाद अगर आप बिल्कुल एक्टिव नहीं रहते तो जोड़ों पर असर पड़ता है।
क्रम संख्या | टिप (Tip) | विवरण (Description) |
1. | शारीरिक रूप से सक्रिय रहें | नियमित रूप से कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे चलना, तैरना, साइकिल चलाना या योग करें। यह जोड़ों के लचीलेपन को बनाए रखने में मदद करता है और जोड़ों को सहारा देने वाली मांसपेशियों को मजबूत करता है। गतिविधि से सिनोवियल फ्लूइड (जोड़ों का प्राकृतिक चिकनाई) का प्रवाह बढ़ता है, जिससे अकड़न कम होती है और जोड़ सुचारू रूप से चलते हैं। |
2. | स्वस्थ वजन बनाए रखें | शरीर का अतिरिक्त वज़न घुटनों, कूल्हों और रीढ़ जैसे जोड़ों पर अतिरिक्त तनाव डालता है। हर अतिरिक्त किलो जोड़ों के घिसने को बढ़ाता है, जिससे उपास्थि (कार्टिलेज) का टूटना तेजी से होता है। थोड़ा वजन कम करने से भी जोड़ों पर दबाव कम होता है और ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा घटता है। |
3. | जोड़ों के अनुकूल भोजन करें | ओमेगा-3 फैटी एसिड (साल्मन जैसी वसायुक्त मछली, अलसी और अखरोट में पाया जाता है) से भरपूर आहार जोड़ों की सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। फलों और सब्जियों से मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट भी फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं जो जोड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। आपके आहार में विटामिन डी, कैल्शियम और मैग्नीशियम भी शामिल होना चाहिए। |
4. | स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करें | जब जोड़ों के चारों ओर मजबूत मांसपेशियां होती हैं, तो वे शॉक एब्जॉर्बर की तरह काम करती हैं, जिससे जोड़ों पर से दबाव हट जाता है। स्क्वैट्स, लंग्स या लेग लिफ्ट्स जैसे रेजिस्टेंस ट्रेनिंग या बॉडीवेट व्यायाम जोड़ों की स्थिरता और संरेखण (अलाइनमेंट) बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। |
5. | हाइड्रेटेड रहें | पानी सिनोवियल फ्लूइड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि आप निर्जलित (डिहाइड्रेटेड) हैं, तो इससे जोड़ों में अकड़न हो सकती है और फ्लूइड की चिकनाई करने की क्षमता कम हो सकती है। पूरे दिन खूब पानी पीने से जोड़ों की लोच और शॉक-एब्जॉर्बिंग क्षमता बनाए रखने में मदद मिलती है। |
टेक्नोलॉजी ने काम को आसान जरूर बना दिया है, लेकिन अगर हमने अपनी हड्डियों और जोड़ों का ख्याल नहीं रखा, तो 30-40 की उम्र में ही घुटनों की समस्या शुरू हो सकती है। छोटे-छोटे बदलाव जैसे सही पॉश्चर, हल्की स्ट्रेचिंग, हेल्दी डाइट और रोजाना थोड़ी एक्टिविटी आपके जॉइंट्स को सालों तक हेल्दी रख सकते हैं।
Updated on:
04 Aug 2025 11:17 am
Published on:
04 Aug 2025 11:14 am