Hardoi Accident News: 13 वर्षीय किशोर की डूबकर दर्दनाक मौत, मिट्टी खनन से बने गड्ढे बने हादसे का कारण कछौना कोतवाली क्षेत्र के ग्राम हिंदू खेड़ा में एक दर्दनाक हादसे में 13 वर्षीय किशोर की जान चली गई। कार्तिक सिंह, पुत्र रामवीर सिंह, जो अपने ननिहाल हिंदू खेड़ा में रह रहा था, गांव के बाहर बने एक तालाब नुमा गड्ढे में नहाने के दौरान डूब गया। यह गड्ढा ईंट भट्ठे में उपयोग के लिए मिट्टी खनन के कारण बना था। घटना ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया है और एक बार फिर अवैध व असुरक्षित गड्ढों की मौजूदगी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कार्तिक सिंह मंगलवार दोपहर अपने तीन अन्य साथियों के साथ गांव की उत्तर दिशा में स्थित एक गहरे गड्ढे में नहाने गया था। यह गड्ढा मिट्टी खोदाई के बाद वर्षा जल भर जाने से तालाब का रूप ले चुका था। बच्चों को गहराई का सही अंदाजा नहीं था। नहाते समय अचानक कार्तिक गहरे पानी की ओर चला गया और डूबने लगा। उसके साथियों ने शोर मचाया, लेकिन तब तक वह पानी में समा चुका था। कार्तिक को बचाने की कोशिश में एक अन्य साथी भी डूबने लगा, जिसे गांववालों ने किसी तरह बाहर निकाला। उसकी हालत गंभीर होने पर उसे तत्काल इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल भेजा गया, जहां उसका उपचार जारी है।
कार्तिक मूलतः जिला फर्रुखाबाद के नवाबगंज तहसील स्थित गांव बम्हना का निवासी था। वह बीते कुछ महीनों से अपनी नानी के घर हिंदू खेड़ा में रह रहा था। जैसे ही हादसे की सूचना उसके परिजनों तक पहुंची, गांव में कोहराम मच गया। माता-पिता, दादा-दादी और अन्य रिश्तेदार मौके पर पहुंचे तो उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। गांव का माहौल शोकग्रस्त हो गया और हर आंख नम दिखाई दी।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि गांव के आसपास इस प्रकार के कई गड्ढे बने हुए हैं, जो बारिश के बाद पानी से लबालब भर जाते हैं। न तो इनपर कोई चेतावनी बोर्ड लगाया गया है, और न ही कोई सुरक्षा इंतजाम। गांव के ही बुजुर्ग सुरेश यादव का कहना है कि "ऐसे गड्ढे बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। पहले भी इस इलाके में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।" ग्रामीणों ने मांग की है कि सभी खनन स्थलों को चिन्हित कर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।
घटना की सूचना मिलते ही कछौना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। साथ ही हादसे के स्थान की घेराबंदी की गई ताकि कोई और बच्चा गड्ढे के पास न जाए। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया।
राजस्व विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। कानूनगो शिवरूप द्विवेदी व लेखपाल अनूप शुक्ला ने परिजनों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की और सरकार द्वारा मिलने वाली हर संभव मदद का आश्वासन दिया। परिवार को उचित मुआवजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
घटना ने एक बार फिर अवैध या असुरक्षित खनन पर प्रशासन की लापरवाही उजागर कर दी है। जिन स्थलों से मिट्टी निकाली जाती है, वहां न तो गड्ढे भरने की व्यवस्था की जाती है, और न ही चेतावनी चिन्ह लगाए जाते हैं। इस लापरवाही की कीमत गांव के मासूम बच्चों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है।
घटना के बाद क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिवार को सांत्वना दी और प्रशासन से गड्ढे को तत्काल भरने व भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। स्थानीय भू-गर्भ विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी खनन के बाद गड्ढों को भरना कानूनी रूप से अनिवार्य है। यदि गड्ढा किसी निजी जमीन पर है, तब भी यदि वह सार्वजनिक खतरे का कारण बनता है तो प्रशासन उसपर कार्रवाई कर सकता है। बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से यह जिम्मेदारी क्षेत्रीय अधिकारियों की भी बनती है कि वे ऐसे स्थलों की नियमित निगरानी करें।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे अनियंत्रित खनन और उससे उपज रही दुर्घटनाओं की ओर ध्यान दिलाया है। स्थानीय प्रशासन यदि समय रहते हस्तक्षेप करे और गड्ढों को चिन्हित कर उन्हें भरवाने की व्यवस्था करे, तो ऐसे मासूम जीवन बचाए जा सकते हैं।
Published on:
29 Jul 2025 07:49 am