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बरसात के बाद घग्घर नदी में पानी की आवक तेज, यही रफ्तार रहने पर पाकिस्तान सीमा तक पहुंचने में लगेगा आठ से दस दिन का वक्त

हनुमानगढ़. घग्घर नदी क्षेत्र में पानी का बहाव तेज हो रहा है। 06 जुलाई को घग्घर के नाली बेड में 3000 क्यूसेक पानी चल रहा था। इस तरह उक्त पानी शाम पांच बजे तक कालीबंगा-पीलीबंगा के समीप पहुंच गया। इसी रफ्तार से पानी चलता रहा तो आठ से दस दिन के भीतर पानी पाकिस्तान सीमा तक पहुंच जाएगा।

बरसात के बाद घग्घर नदी में पानी की आवक तेज, यही रफ्तार रहने पर पाकिस्तान सीमा तक पहुंचने में लगेगा आठ से दस दिन का वक्त
बरसात के बाद घग्घर नदी में पानी की आवक तेज, यही रफ्तार रहने पर पाकिस्तान सीमा तक पहुंचने में लगेगा आठ से दस दिन का वक्त

हनुमानगढ़. घग्घर नदी क्षेत्र में पानी का बहाव तेज हो रहा है। 06 जुलाई को घग्घर के नाली बेड में 3000 क्यूसेक पानी चल रहा था। इस तरह उक्त पानी शाम पांच बजे तक कालीबंगा-पीलीबंगा के समीप पहुंच गया। इसी रफ्तार से पानी चलता रहा तो आठ से दस दिन के भीतर पानी पाकिस्तान सीमा तक पहुंच जाएगा। राजस्थान सीमा में पानी हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी से प्रवाहित होता है। यहां से अनूपगढ़ के नजदीक पाकिस्तान सीमा डेढ़ सौ किमी दूर है। इस तरह पाक सीमा तक पानी पहुंचने में आठ से दस दिन तक का वक्त लगता है। रविवार को घग्घर के गुल्लाचिक्का हैड में 4600 क्यूसेक, खनौरी में 2500, चांदपुर में 2350, ओटू हैड पर 1300, घग्घर साइफन में 3400 तथा नाली बेड में 3000 क्यूसेक पानी प्रवाहित किया जा रहा था। नदी के जल ग्रहण क्षेत्रों में बरसात की संभावना बताई जा रही है। ऐसे में आगे आवक की स्थिति और बढ़ सकती है। ऐसे में घग्घर नदी के बंधों को मजबूत करना बेहद जरूरी है। जहां-जहां अवैध बंधों की शिकायत है, विभाग को वहां से पानी निकालने का रास्ता तैयार करना होगा। ताकि नदी में प्राकृतिक रूप से पानी का प्रवाह जारी रहे।

पूर्व के बरसों में बाढ़ की चपेट में आ चुका है शहर
हनुमानगढ़ शहर पूर्व के बरसों में बाढ़ की चपेट में आ चुका है। टाउन-जंक्शन मार्ग के बीच घग्घर नदी का बंधा वर्ष 1995 में टूट गया था। इससे शहर में हर तरफ पानी ही पानी फैल गया था। इस वजह से जैसे ही नाली बेड में पानी की आवक होती है, लोगों में बेचैनी शुरू हो जाती है।

धान की फसल को फायदा
वर्तमान में घग्घर नदी में पानी की आवक होने से धान उत्पादक किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। धान उत्पादक किसानों को खेतों में सिंचाई पानी मांग के अनुसार मिलने लगा है। पंप करके किसान खेतों तक पानी पहुंचा रहा हैं। इससे भविष्य में धान का उत्पादन काफी अच्छा होने का अनुमान है।