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जीतोड़ मेहनत से बनाया धान का कटोरा, सरकार ने पीछे खींचे कदम, आंसू बहाने को मजबूर किसान

हनुमानगढ़. किसानों के जीतोड़ मेहनत के बूते घग्घर क्षेत्र को धान के कटोरे के रूप में पहचान मिलने लगी। परंतु सरकार की ओर से इसकी खरीद में कदम पीछे कर लेने से किसान आंसू बहाने को मजबूर हो रहे हैं।

जीतोड़ मेहनत से बनाया धान का कटोरा, सरकार ने पीछे खींचे कदम, आंसू बहाने को मजबूर किसान
जीतोड़ मेहनत से बनाया धान का कटोरा, सरकार ने पीछे खींचे कदम, आंसू बहाने को मजबूर किसान

-गत बरसों में एमएसपी से करीब चार सौ रुपए प्रति क्विंटल प्राइवेट भाव रहने से किसानों को हुआ करोड़ों का नुकसान
-इस बार भी समय पर नहीं चेता सरकारी तंत्र तो किसानों की जेब रह जाएगी खाली
हनुमानगढ़. किसानों के जीतोड़ मेहनत के बूते घग्घर क्षेत्र को धान के कटोरे के रूप में पहचान मिलने लगी। परंतु सरकार की ओर से इसकी खरीद में कदम पीछे कर लेने से किसान आंसू बहाने को मजबूर हो रहे हैं। आगामी सीजन में शायद अच्छी आमदनी हो जाए। इसकी आस में इस बार भी किसान धान की खेती में जुट गए हैं। धान की रोपाई बड़े पैमाने पर की जा रही है। बीते बरसों की बात करें तो जिले में धान की अच्छी उपज होती रही है। परंतु एमएसपी पर खरीद नहीं होने से किसानों की जेब अक्सर खाली ही रही है। बहुत से किसान तो ऐसे हैं जो एमएसपी से काफी कम रेट पर फसल बेचते रहे हैं। इस बार समय रहते सरकारी तंत्र नहीं जागा तो किसानों की आर्थिक स्थिति और कमजोर हो जाएगी। धान के कटोरे के रूप में पहचान रखने वाले हनुमानगढ़ जिले में धान की एमएसपी पर खरीद नहीं होना किसी विडम्बना से कम नहीं है। हर वर्ष सरकार फसलों का एमएसपी घोषित करके वाहवाही लूट लेती है। लेकिन जमीनी तौर पर इसकी खरीद करने में फिसड्डी रहती है। गत वर्ष की बात करें तो जिले में धान की सरकारी खरीद को लेकर केंद्र सरकार ने एक भी केंद्र स्वीकृत नहीं किया। इस वजह से एक दाने धान की भी सरकारी खरीद नहीं हो पाई। ऐसे में किसानों को करोड़ों का नुकसान सहना पड़ा। हनुमानगढ़ जिले की मंडियों में 2024-25 में कुल 15 लाख छह 271 क्विंटल धान की आवक हुई। सरकार की ओर से परमल धान में कॉमन धान का 2300 तथा ग्रेड क्वालिटी की धान का एमएसपी 2320 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया था। परंतु सरकार स्तर पर इसकी खरीद नहीं की गई। इससे व्यापारियों ने अपने मनमाने रेट लगाकर इनकी खरीद की। इस तरह धान का औसत भाव 1900 रुपए प्रति क्विंटल रहा। मतलब करीब चार सौ रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को नुकसान हुआ।

इतना उत्पादन ले रहे
घग्घर क्षेत्र में प्रति बीघा 16 से 20 क्विंटल के बीच धान का उत्पादन हो रहा है। जिले में परमल व बासमती किस्म के धान की अच्छी पैदावार होती है। घग्घर नदी में पानी की आवक होने से इनकी अच्छी पैदावार होती है। इसलिए किसानों को इस नदी में पानी आने का इंतजार रहता है।

गत वर्ष 60 हजार हैक्टैयर में खेती
वर्तमान में 25 जून तक हनुमानगढ़ जिले में 20 हजार से अधिक हैक्टैयर में धान की रोपाई हो चुकी है। यह आंकड़ा इस बार 40 से 50 हजार हैक्टैयर के बीच में रहने का अनुमान है। कृषि अधिकारियों के अनुसार गत वर्ष 60 हजार हैक्टैयर में धान की खेती हुई थी। कुछ नए गांवों में किसानों ने धान की खेती शुरू की थी। लेकिन गत वर्ष उनका परिणाम ज्यादा अच्छा नजर नहीं आया। इस वजह से इस बार धान की खेती का रकबा कुछ कम हो सकता है।

…..फैक्ट फाइल….
-हनुमानगढ़ जिले की मंडियों में 2024-25 में कुल 15 लाख छह 271 क्विंटल धान की आवक हुई।
-हनुमानगढ़ जिले में 2024-25 में 60 हजार हेक्टैयर में धान की खेती हुई।
-2024-25 में जिले में धान के औसत भाव 1900 रुपए प्रति क्विंटल रहे। जबकि एमएसपी 2300 रुपए प्रति क्विंटल घोषित था।
-घग्घर क्षेत्र में प्रति बीघा 16 से 20 क्विंटल के बीच धान का उत्पादन हो रहा है।

मजबूर हैं किसान
जिले में परमल धान की सरकारी खरीद नहीं होने से करोड़ों का नुकसान किसानों को रहा है। मजबूर होकर किसान एमएसपी से कम रेट पर फसल बेचने को मजबूर होते हैं। अभी जिले में धान की रोपाई का काम चल रहा है। सरकार के पास केंद्र स्वीकृत करने को पर्याप्त समय है। समय रहते सरकारी तंत्र चेत जाए तो आगामी सीजन में धान की सरकारी खरीद सुचारू रूप से शुरू हो सकती है।
-भगवान सिंह खुड़ी, किसान, हनुमानगढ़