हनुमानगढ़. पल्ले से पैसा खर्च कर बेरोजगार युवा सरकारी दफ्तरों में हाजिरी तो बजा रहे हैं। मगर महीनों तक सरकारी कार्यालयों में नियमित रूप से काम करने के बावजूद उनका बेरोजगारी भत्ता लापता है। भत्ते का भुगतान अनियमित होने के कारण बेरोजगारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। हनुमानगढ़ सहित राज्य भर में कमोबेश यह स्थिति है कि बेरोजगारों का छह से आठ महीने तक का भत्ता राज्य सरकार पर बकाया है।
हनुमानगढ़ के अधिकांश बेरोजगारों को इस साल के एक भी माह का भत्ता नहीं मिला है। दो माह पहले तक तो इससे भी ज्यादा समय के भत्ते का भुगतान लम्बित हो गया था। जिले में करीब सात हजार से अधिक तथा राज्य में पौने दो लाख से भी अधिक बेरोजगार भत्ते की प्रतीक्षा में हैं। उल्लेखनीय है कि पंजीकृत बेरोजगारों को प्रशिक्षण देकर विभिन्न विभागों में लगाया गया है। वहां कार्य करने पर उनको भत्ता मिलता है।
जिले के बेरोजगारों को दिसम्बर 2024 तक के भत्ते का ही भुगतान हुआ है, यह भुगतान भी कुछ सप्ताह पहले ही हुआ है। इस साल जनवरी से अब तक का भत्ता नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि बेरोजगार भत्ते का भुगतान सरकार बेरोजगारों को वर्गों में बांटकर करती है।
शिक्षित बेरोजगारों को सम्बल देने के लिए भत्ते की इस योजना का कई बार नाम बदला जा चुका है। मगर भुगतान की बिगड़ी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। इस मुख्यमंत्री युवा संबल योजना में पुरुष को 4000 तथा महिला, दिव्यांग व ट्रांसजेंडर को 4500 रुपए मासिक भत्ता देय है।
पंजीकृत बेरोजगारों को पहले तो बैठे बिठाए देर सवेर भत्ता मिल जाता था। मगर 2022 से इंटर्नशिप का नियम लगा दिया गया। अब संबंधित कार्यालय में नियमित ड्यूटी देने पर ही भत्ता मिलता है। बेरोजगारों के कार्यालय में ड्यूटी के लिए आने जाने आदि में ही महीने भर में हजार-पांच सौ रुपए खर्च हो जाते हैं। ऐसे में महीनों तक भत्ता नहीं मिले तो बेरोजगारों की स्थिति क्या होगी, आसानी से समझी जा सकती है।
दिसम्बर 2024 तक का भुगतान हो चुका है। मार्च तक के बिल बन चुके हैं। अप्रेल तक का डाटा मिल गया है। जल्दी ही बकाया भुगतान बेरोजगारों को करवा दिया जाएगा। - विनोद गोदारा, कार्यवाहक जिला रोजगार अधिकारी।
Published on:
03 Aug 2025 10:44 am