हनुमानगढ़ (कैंचियां). अम्मार इकबाल का शेर है कि यूं बुनी हैं रगे जिस्म की, एक नस टस से मस और बस। कई बरस से चारपाई पर जीवन गुजार रहे भंवरलाल के हालात इस शेर में ध्वनित होते हैं। उनके जिस्म की नसें ब्लॉक हुई तो बस जिंदगी वहीं ठहर सी गई। इतनी ठहरी कि चारपाई पर लेटे-लेटे पीठ पर जख्म हो गए। उससे भी ज्यादा गहरे जख्म परिवार के कमाऊ पूत के घर बैठने से परिजनों व भंवरलाल की जिंदगी में हो गए हैं। भंवरलाल के बीमार होने से पूरे परिवार की जिंदगी भंवर में फंस गई है।
एक तरफ जहां सरकारी तंत्र राज्य में मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना का प्रचार प्रसार कर नि:शुल्क इलाज को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहा है, वहीं भंवरलाल की हालत कुछ और ही हकीकत बयां करती है।
गांव खोथांवाली के निकट चक दो बीएलडब्ल्यू रोड पर खेत में बने कमरे में रह रहे 55 वर्षीय भंवराराम नायक पिछले छह वर्षों से बीमारी के कारण जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके शरीर की एक नस ब्लॉक होने के कारण भंवराराम के शरीर के पेट के नीचे का पूरा हिस्सा काम नहीं करता है। पेट के नीचे के हिस्से में जख्म हो गए हैं। आर्थिक रूप से बुरी तरह टूट चुके भंवराराम का परिवार अब उपका इलाज करवाने में असमर्थ है। परिवार की आर्थिक हालात इतनी नाजुक है कि भंवराराम व उसका परिवार किसी के खेत में बने एक कमरे में रह रहा है।
तीन बच्चों का पिता भंवराराम इलाज के अभाव में चारपाई पर पड़ा है। उसकी पत्नी व तीनों बच्चे उसकी देखभाल करते हैं। खुद का मकान भी नहीं है। सरकारी नाकामी के चलते भंवराराम का राशन कार्ड अब तक खाद्य सुरक्षा में भी नहीं जुड़ा है। भंवराराम के इलाज के लिए लाखों रुपए की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में सामाजिक संगठनों को पहल करनी चाहिए ताकि भंवराराम की जिंदगी बचाई जा सके।
भंवराराम ने बताया कि वो करीब छह वर्ष पूर्व खेत में मजदूरी कर रहा था कि अचानक उसकी कमर में दर्द हुआ। चेकअप करवाने पर पता चला कि उसकी एक नस ब्लॉक हो गई है। उसके बाद से वो गंगानगर जयपुर तक इलाज करवा चुका है। परंतु इलाज महंगा होने के कारण वो बेबस हो गया है।
Updated on:
01 Aug 2025 06:31 pm
Published on:
01 Aug 2025 10:43 am