हाईकोर्ट की युगल पीठ ने 1304 देर से दायर की रिट अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि शासन को जितनी भी हानि हुई है, उस राशि को देर से अपील दायर के लिए जिम्मेदार अधिकारी से वसूल की जाए। ज्ञात है कि राज्य शासन ने श्योपुर हजारेश्वर स्कूल में 2021 में शिक्षकों के संविलियन के फैसले को चुनौती दी थी।
दरअसल श्योपुर के हजारेश्वर स्कूल को राज्य शासन ने अपने नियंत्रण में लेकर संचालन शुरू किया था। 1995 में स्कूल में कार्य करने वाले शिक्षकों का भी संविलियन किए जाने का फैसला लिया गया। इसके चलते शिक्षकों ने अपना अभ्यावेदन लोक शिक्षण संस्थान में प्रस्तुत किए। लेकिन उनके अभ्यावेदन पर कोई फैसला नहीं लिया। इसके बाद यदुनाथ सिंह सहित 6 शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 18 फरवरी 2021 को शिक्षकों को स्कूल में संविलियन का आदेश दिया। आदेश का पालन 90 दिन में किया जाना था, लेकिन शासन ने आदेश का पालन नहीं किया तो शिक्षकों ने अवमानना याचिका दायर की। इस स्थिति को देखते हुए राज्य शासन ने 2024 में युगल पीठ में रिट अपील दायर की। शासन ने तर्क दिया कि शिक्षक योग्यता नहीं रखते थे। इस कारण उन्हें सरकारी शिक्षक का लाभ नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट रिट अपील दायर करने की अवधि देखी तो 1304 देर से पेश की गई, जबकि 90 दिन के भीतर रिट अपील दायर कर एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी जानी थी। विभाग लंबे समय तक सोता रहा। कोर्ट ने रिट अपील को खारिज करते हुए आदेश दिया कि शिक्षकों के देयकों का जो भार आएगा, उस राशि को संबंधित अधिकारी से वसूली जाए।
लोक शिक्षण संस्थान ने देर से अपील पेश करने के मामले में अपनी सफाई दी। देर से अपील दायर करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई का ब्यौरा पेश कर बताया कि सुरेश सोलंकी को निलंबित किया गया था। उनकी विभागीय जांच शुरू कर दी है।
राज्य शासन ने तर्क दिया कि 6 मार्च 2024 को अनुमति प्राप्त हुई। श्योपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को प्रभारी अधिकारी नियुक्ति किया गया। रिट अपील तैयार करने के लिए 1 अप्रेल 2024 को जिला शिक्षा अधिकारी महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचे।
जिस अधिकारी की वजह से रिट अपील लेट हुई। उस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर विभागीय जांच की गई।
हाईकोर्ट में बहस हुई तो सामने आया कि 90 दिन बीत जाने के बाद सोलंकी को आरोप पत्र नहीं दिया गया। इस कारण वह बहाल हो गए।
Published on:
31 Jul 2025 11:08 am