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कोर्ट की टिप्पणी, अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लिए अदालत के आदेश का इंतजार क्यों? तीसरी मंजिल गिराने का दिया आदेश

The Municipal Corporation's inaction encourages illegal construction. This spoils the urban aesthetic, the High Court made serious observations in the case of an illegally constructed building in Dalbazar.

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The Municipal Corporation's inaction encourages illegal construction. This spoils the urban aesthetic, the High Court made serious observations in the case of an illegally constructed building in Dalbazar.

The Municipal Corporation's inaction encourages illegal construction. This spoils the urban aesthetic, the High Court made serious observations in the case of an illegally constructed building in Dalbazar.

The Municipal Corporation हाईकोर्ट की एकल पीठ ने शहर में अवैध निर्माण को लेकर बड़ा आदेश पारित किया है। अदालत ने कहा कि बिना स्वीकृति तीसरी मंजिल का निर्माण कर भवन नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसलिए नगर निगम ग्वालियर को निर्देश दिया गया है कि पूरी तीसरी मंजिल को ध्वस्त किया जाए और भवन के आगे-पीछे छोड़ी जाने वाली खाली जगह (सेटबैक) सुनिश्चित की जाए। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह आश्चर्यजनक और चिंताजनक है कि नगर निगम ग्वालियर हर अवैध निर्माण पर कार्रवाई के लिए अदालत के आदेश की प्रतीक्षा करता है। कानूनन जिन कार्यों के लिए उसे स्वयं कार्रवाई करनी चाहिए, उसमें भी लापरवाही बरती जा रही है। नगर निगम की निष्क्रियता से अवैध निर्माणों को बढ़ावा मिलता है। यह न केवल शहरी सौंदर्य को बिगाड़ता है बल्कि न्यायिक व्यवस्था की अवमानना भी है। क्या राज्य सरकार ऐसे रवैये को स्वीकार कर सकती है? फैसला न्यायमूर्ति जी. एस. अहलूवालिया की एकलपीठ ने दिया है।

दरअसल दालबाजार में स्नेहलता (उनके कानूनी वारिश गिरिराज अग्रवाल सहित) ने अवैध निर्माण किया। इसको लेकर मोहनलाल अग्रवाल ने 2023 में अवैध निर्माण की शिकायत की। इस शिकायत पर नगर निगम ने स्नेहलता व उनके वारिशों को नोटिस जारी किए। नोटिस के खिलाफ जिला न्यायालय में वाद दायर किया। जिला न्यायालय से वाद खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में सिविल रिवीजन दायर की। निगम की कार्रवाई को गलत बताया। मोहनलाल अग्रवाल की ओ से अधिवक्ता महेश गोयल ने कहा कि अवैध निर्माण है। इस पर निगम ने कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने नगर निगम से सवाल किया कि कार्रवाई कब तक की जाएगी, तो निगम की ओर से कहा गया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने निगम के इस रवैये पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी निष्क्रियता को किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं माना जा सकता है।

रिकॉर्ड व रिपोर्ट में यह आया सामने

हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड और आयुक्त की रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए पाया कि नगर निगम की स्वीकृति सिर्फ दो मंजिल (ग्राउंड व फर्स्ट फ्लोर) के लिए दी गई थी।

-भवन के सामने और पीछे खुला क्षेत्र छोड़ने का भी निर्देश था। सामने 1.5 वर्गमीटर और पीछे 1 वर्गमीटर।

-निरीक्षण में पाया गया कि न तो सामने कोई खुली जगह छोड़ी गई और न ही पीछे, बल्कि सामने दुकान बनाकर शटर लगाया गया था।

- तीसरी मंजिल का निर्माण भी अवैध रूप से कर लिया।

कोर्ट ने यह दिया आदेश

-तीसरी मंजिल का पूरा निर्माण ध्वस्त किया जाए।

-सामने और पीछे का सेटबैक क्षेत्र खाली कराया जाए।

- अवैध दुकान को हटाकर भवन को मूल स्वीकृति के अनुरूप लाया जाए।

-कोर्ट ने नगर निगम को यह भी निर्देश दिया कि भवन के सामने 1.5 वर्गमीटर और पीछे 1 वर्गमीटर खाली स्थान छोड़ा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि आगे कोई दुकान या व्यावसायिक उपयोग न हो, क्योंकि यह शुद्ध रूप से आवासीय अनुमति थी।